Berukhi Shayari In Hindi
में तेरे लिए खास हु जब जब
मुझे लगा
तेरी बेरुखी ने ये समझा दिया
में झूठी आस में हु।
तुम भले ही बदल जाओ मगर
इतना याद रखना
कही पछतावा ना बन जाये हमसे
बेरुखी इतनी।
तेरी बेरुखी ही सही सुकून
ए दिल को नसीब
हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेंगा
चाहे वो फासला ही सही।
इस दिल की तड़प को काश वो समझते
तो यु हमें रुसवा न किया होता
उनकी ये बेरुखी भी मंजूर थी हमें
बस एक बार हमें समझ लिया होता।
जख्मो पर नमक भी छिड़क कर देखा
तेरी बेरुखी ज्यादा दर्द देती हे।
कैसा बादल हे जिसका कोई साया भी नहीं
प्यास वो दिल की कभी बुझाने आया भी नहीं
बेरुखी इससे बड़ी भला क्या होंगी
एक मद्त से हमें उसने सताया भी नहीं।
आपकी बेरुखी हमें खामोश
कर गई
अब तो उल्फ़ाज भी ख़ामोशी में
तब्दील हो गए।
ए दिल उनकी बेरुखी पे उदास
क्यों होता हे
वो तो बड़े लोग हे अपनी मर्जी
से याद करते हे।
Berukhi Shayari Image
बेरुखी की आज हमने इंतहा देखि हे
हमपे नजर पड़ी तो वो महफ़िल
से उठ गए।
हम भी सोचते हे बेरुखी
करना सिख ले
हमने अपनी कदर खो दी हे
हर एक को मोहब्बत देते देते।
इस कदर बढ़ गई हे हमारी बेरुखी अब
तुमसे बात तो मुमकिन हे
पर हम कोशिश नहीं करना चाहते।
आखिर दूर यु हमसे कब तक रह पाओगे
मिलना पड़ेगा आखिर कभी जरूर हमसे
नजरे चुराने वाले ये बेरुखी कैसी
कह दो अगर हुआ हे कोई कसूर हमसे।
बात तक नहीं करते ऐसी भी क्या
बेरुखी हे
आँखे दो चार करके इजहार नहीं करते।
खुद से भी बेरुखी सी हो गई हे
तुम्हारी बेरुखी के बाद
में मंजिल से और जिंदगी मुझसे
अजनबी सी हो गई हे।
बेक़रार दिल को और भी बेक़रार करती हे
ये बेरुखी प्यार की अदाए
हसरतो के दिप जल तो रहे हे मचलने को रौशनी
तेरा इंतजार करती हे।
बेवजह बेरुखी ना किया कर बेखबर
कोई टूट जाता हे तेरा लहजा
बदलने से।
Berukhi Shayari 2022
जालिम ज़माने ने सीखा दी बेरुखी
तुम्हे की तुम जो सिख लेते हो
वो हम पर आजमाते हो।
कमजोर ही रहने दो अभी
कमजोर हु तो
यु बेरुखी से तो में भी पथ्थर
हो जाऊंगा।
अब ये दिल दुखता नहीं तेरी बेरुखी से
मुझे आदत सी हे प्यार
वाला कोई मिलता नहीं।
ये ही अंजाम होगा तेरी बेरुखी का
एक दिन
आखिर भुला ही देंगे तुझे याद
करते करते।
तुझे इस बेरुखी से क्यों तकलीफ
होती हे
तुम्ही ने तो सिखाया हे की दिल
कैसे जलाते हे।
नजर अंदाज नहीं किया कभी
मोहब्बत हे तुमसे इसलिए
वरना बेरुखी तुमसे कही बहेतर
जनता हु में।
मेरे महबूब सा हे इन बदलो का मिजाज
कभी टूटकर बरसते हे
कभी बेरुखी से गुजर जाते हे।
उनकी बेरुखी का यारो अब
गिला क्या करना
दिल ही तो हे भर गया होगा।
Berukhi Par Shayari
हम ने आज कल के लोगो में
ऐसी बेरुखी भी देखि हे
आप से तुम तक तुम से आज तक
जान से अनजान तक हो जाते हे।
गुरुर अच्छा नहीं होता शोहरत अच्छा नहीं होता
अपनों से बेरुखी से पेश आना हुजूर
अच्छा नहीं होता।
हम तन्हा हे तुम्हारे होते हुए भी
इससे बढ़कर क्या सुबूत होगा
तुम्हारी बेरुखी का।
मुझे हर बार इस बात का पता देती हे
उनकी बेरुखी
थी कभी उसे भी मोहब्बत ये हक
जता देती हे।
में थोड़ा पि लेता हु उनकी बेरुखी
को भुलाने के लिए
न जी पाऊ भी अगर तो थोड़ा मर के
भी में जी लेता हु।
बेरुखी को उनकी अदाओ में देखा
नफरत को मोहब्बत की आँखों में देखा
आँखे नम हुई और में रो पड़ा
जब अपनों को गैरो की बाहो में देखा।
वो हमें भुलाते गए और हम सिमटते गए उनमे
हम मरते गए उनकी बेरुखी से और वो
हमे आजमाते गए।
” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “