मृत्यु का भय क्यों होता है ? | Mutyu Ka Bhay Kyo Hota He
⇨ सामान्य भाषा में किसी भी जीवात्मा अर्थात प्राणी के जीवन के अंत को मृत्यु कहते हे। मृत्यु सामन्यत वृद्धवस्था, लालच, मोह, रोग, कुपोषण के परिणाम स्वरूप होती हे। मुख्य मृत्यु के 101 स्वरूप होते हे। लेकिन मुख्य 8 प्रकार की होती हे। जिसमे बुढ़ापा, रोग, दुर्घटना, आकस्मि आघात, शोक, चिंता और लालच मृत्यु के मुख्य रूप हे।
⇨ मनुष्य का डरने का प्रमुख कारण होता हे। आने वाली आपदा या नुकशान की कल्पना करना। और अपने मष्तिक में ही उस कल्पना को सच होते हुए देखना। उसके परिणामो की व्याख्या ही भय का रूप धारण कर लेती हे।
⇨ हमे डर लगता हे खो जाने से, हमें डर लगता हे अज्ञात में भटक जाने से मृत्यु का पैगाम जितना बड़ा होता हे यह डर भी उतना ही संघन होता हे। क्योकि ऐसी परिस्थिति में मृत्यु नामक अज्ञात स्थिति हमे अपने बेहद करीब नजर आती हे। कोई व्यक्ति मृत्यु से इसलिए डरता हे क्योकि अंतिम संस्कार के कर्म उसके मन में भय उत्पन करते हे। जैसे कब्र में दफनाए जाने से कोई भयभीत होता हे तो किसी को चिता पर जलने से डर लगता हे। कई व्यक्ति इसलिए भी मरने से डरते हे क्योकि उस पर कई जीवन आश्रित होते हे।
⇨ मगर शमश्या उस वक्त होती हे जब मन किसी मामूली चीज या हालात से अनायास ही भय खाने लगता हे। यह रोज का डर व्यक्ति को खोखला बनाकर रख देता हे। हालात ऐसे हो जाते हे की हम दूसरे लोगो का सामना करने और बातचीत करने में भी कतराने लगते हे। जन्म जन्मांतरों के मृत्यु के संस्कार व अनुभव जीवात्मा पर हे उसके कारण ही मृत्यु का डर सताता हे। इस भय के मुख्य कारणों में अविद्या नामक क्लेश प्रमुख हे जिसे व् अन्य क्लेशो को भी यदि हटा दिया जाये तो मृत्यु का भय सर्वथा दूर हो सकता हे।
मृत्यु से भय क्यों लगता है इस वीडियो में देखे
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