Manzar Shayari In Hindi
डूबते सूरज को इस तरह वो रोज
देखता हे
काश में भी किसी शाम का
मंजर होता।
हर मंजर भी रोयेंगा हर महफ़िल
भी रोयेंगी
डूबी जो मेरी कश्ती तो खुद
समंदर भी रोयेंगा।
ना ये मंजर अजीब हे ना ये महफ़िल
जो उसने चलाया वो खंजर अजीब हे
ना डूबने देता हे ना उबरने देता हे
उसकी आँखों का वो समंदर अजीब हे।
हर किसी में मुझको ढूंढा करोंगे
देखना वो मंजर भी आयेंगा
हम याद भी आयेंगे और आँखों में
समंदर भी आयेंगा।
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेंगा
रख हौसला वो मंजर भी आयेंगा
थक कर न बैठ ये मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेंगी
और मिलने का मजा भी आयेंगा।
मिटाये नहीं मिटता अब तक मेरी
यादो से
भीगी हुई एक शाम का मंजर तेरी आँखे।
अजीबोगरीब था मंजर ये हादसे का
वो आग से जल गया जो नदी
के करीब था।
नजर आता हे एक अजीब सा मंजर
हर एक आंसू में समंदर नजर आता हे
कहा रखु में शीशे का दिल अपना
हर किसी के हाथ में पथ्थर नजर आता हे।
मंजर कुछ ऐसा हुआ जब वक्त की
आँधिया चली
न पत्ते रहे न किसी परिंदे का
घर रहा।
Manzar Shayari Image
मौत का मंजर मुझे क्या डराएगा
हमने तो जन्म ही कातिलों की
बस्ती में लिया हे।
हसीन मंजर हो तुम इश्क के
ख्यालो का
में डूब जाती हु जिसमे वो
समंदर हो तुम।
अफ़सोस के उसने मेरे दिल के अंदर
जाक कर नहीं देखा
तन्हाई का उसने मंजर नहीं देखा
दिल टूटने का दर्द वो क्या जाने
जिसने ये लम्हा कभी जी कर नहीं देखा।
किसी को हसने न दिया जीते
जी उसने
मंजर था उसकी मौत पर
किसी के जमीर ने उन्हें रोने ना दिया।
वो मेरे इंतजार का मंजर भी कितना
खुशनुमा होगा
जब ठुकराने वाले मुझे फिर से
पाने के लिए आंसू बहाएंगे।
फिजाये बेरंग थी और मंजर भी बेनूर था
बस फिर तुम याद आये और मौसम
सुहाना हो गया।
बर्बादी के मंजर देखे हे
सपनो को टूटते हुए देखा हे
गैरो से क्या मिला करू अपने क़त्ल का जनाब
मेने अपनों के हाथ में खंजर देखा हे।
Manzar Shayari 2022
मंजर होता हे जैसा मूड हो वैसा
मौसम तो इंसान के अंदर होता हे।
चैन से मरने नहीं देती निगाहो के तकाजे
यहाँ मंजर ही ऐसा हे की दिल
भरने ही नहीं देते।
मुश्किलें हजार आएँगी जब एक
सपना देखोगे
लेकिन वो मंजर बड़ा खूबसूरत होगा
जब कामयाबी शोर मचाएंगी।
इसका ये मतलब नहीं समंदर खामोश हे तो
की वो तबाही का मंजर दिखाना
भूल गया।
पानी गिरते हुए देखा हे तुमने
कभी चाँद से
मेने देखा हे ये मंजर तुम्हे
चहेरा धोते हुए।
कुछ ऐसा मंजर हे मेरे रिश्तो का
जुबा पर सब गले लगते हे
मुड़ते ही मेरे खोपते पीठ पर खंजर हे।
रेती की तरह बिखर रहा हे नजरो के
आगे हर एक मंजर
दर्द तुम्हारा बदन पे मेरे जहर की
तरह उत्तर रहा हे।
Manzar Par Shayari
किस कदर बया करू तुम्हारी
मासूमियत का मंजर
जब नजरे मिलाती हो तो डूब जाने का
दिल करता हे।
मंजर कुछ यु हे तुम्हारी अहमियत का
मेरी जिंदगी में अगर तुम ना हो तो
जिंदगी बेजान सी लगती हे।
बेहद हसी मंजर हो तुम इश्क के
ख्यालो का
में डूब जाता हु जिसकी यादो में
वो समंदर हो तुम।
ऐसा अनूठा मंजर होगा कुछ तेरे मेरे मिलन का
जैसे रेगिस्तान की तलब मिटाने आयी
हो बे मौसम बारिश कोई।
बड़ा दिलकश गुजरा वो मंजर
भी मोहब्बत का
किसी ने हाल पूछा और आँखे भर आयी।
जिंदगी का हर एक मंजर देखा हे साहेब
छोटी उम्र हे तो क्या हुआ
फरेबी मुस्कुराहट देखि हे जहा बगल में
खंजर देखा हे साहेब।
कोई मंजर नहीं जिंदगी ये तो
एक यात्रा हे
इस यात्रा पे चलने आओ और
इसका आनंद उठाओ।
( ये पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद )