मानव जीवन का महत्त्व – Importance Of Human Life In Hindi

नमस्कार देवियों और सज्जनों Sochkasafar.in पर आपका एक बार फिर से स्वागत है तो आज के इस लेख में हम बात करने वाले है मानव जीवन का महत्त्व – Importance Of Human Life In Hindi के बारे मे तो आज यह आर्टिकल आपके लिए बहोत ही ख़ास होने वाला है तो उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते है आगे…

मानव जीवन का महत्त्व – Importance Of Human Life In Hindi

मानव जीवन का महत्व
Importance Of Human Life In Hindi

मानव जीवन का महत्त्व

मानव जीवन का आधार मानवता है जीवन का सबंध जिव से है यानी की समस्त जिव समान है। प्रत्येक जिव में चार विशेषताएं समान पायी जाती है भूख, भय, निंद्रा और मैथुन ये हो सकता है की हाथी में भूख की, सर्प में मैथुन की, मानव में निंद्रा की, व् खरगोश में भय की अधिकता पायी जा सकती है परंतु समस्त जीवों में ये चार विशेषताएं अवश्य पायी जाती है। मगर मानव में इसके सिवाय एक अलग विशेषता पायी जाती है वो है बुद्धि एव सीखे हुए ज्ञान का जीवन में उपयोग करना। अगर मानव बिद्धि से या समझ से अच्छे कार्य करता है तो स्वर्ग प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर करता है।

मानव को मनुष्य देह में आने के बाद अन्य गतियों में जैसे की देव, तिर्यच अथवा नर्क में जाकर आने के बाद फिर से मनुष्य देह प्राप्त होता है। और भटकन का अंत भी मनुष्य देह से ही मिलता है। पशु हमेशा अपना पेट भरने की चिंता करता है और मानव पेट के साथ आत्म कल्याण की भी चिंता कर सकता है यानी की मानव में अच्छा और बुरा समझने की क्षमता है इसलिए मानव कभी पशु की तरह पेट भरने में अपना जीवन बर्बाद न करे स्वय के आत्म कल्याण की चिंता करे। भगवान महावीर ने कहा है की है मानव तू महान है। यानी की मनुष्य अपने जीवन का महत्त्व समझे। यानी की विषम परिस्थितियों में आत्मकल्याण की चिंतन करते रहना चाहिए। मानव को फिर से यही जीवन मिले यही तय नहीं है इसलिए अपने जीवन को समझो और अच्छे कर्म करो।

अन्य प्राणियों की तरह मनुष्य जन्म में जिव को ऐसी कोई वेदना भोगनी नहीं पड़ती जो उसके प्राणो का घात करे। अन्य जीवो की तरह मनुष्य के प्राण संकट में नहीं होते तभी यह जीवन प्रभु स्मरण और भजन के लिए अनुकूल है। मनुष्य को भी चौरासी लाख जन्मो में मछली, हिरण, चूहा, चिड़िया, मेढक, छोटे जलचर, मुर्गी, बकरी, कीड़े, चींटी पेड़ अत्यादि बनना पड़ेगा और इन सभी वेदनाओ को झेलना पड़ेगा। मनुष्य इस सभी योनियों में भटक कर और इन सभी वेदनाओ को सहकर फिर मानव तन पाता है और इन मानव तन से प्रभु का होकर और प्रभु की भक्ति कर आवागमन से सैदेव के लिए मुक्ति पा सकते है ताकि दुबारा उसे इस वेदना से गुजरना ना पड़े।

मानव जीवन के कर्मो के उपरांत परोपकारी बनने, दान पुर्ण्य को नियमित करने से ही मानव तन मिलता है। जब परमात्मा ने हमें सर्वसेष्ठ जिव बना कर धरा पर भेजा है तो यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है की है हमें इंसानियत का भाव रखते हुए सर्व जिव कल्याण के लिए कार्य करते है। मानव को अपने जीवन में हमेशा चिंतन, क्षमता का उपयोग करना चाहिए। मानव और पशु का जन्म आदिकाल से ही हो रहा है। मानव और पशु पंच इन्द्रिय जिव होने के बाद चिंतन क्षमता के कारण अलग-अलग है। मानव इस गुण का उपयोग आत्म-कल्याण के लिए करे।

मानव जीवन इस वेदना चक्र को तोड़ने का सुनहरा मौका है। प्रभु की कृपा जीवन में भक्ति द्वारा अर्जित कर इस वेदना चक्र से हम सदैव के लिए मुक्त पा सकते है और साथ ही सैदेव के लिए प्रभु सानिध्य प्राप्त कर प्रभु के धाम में पहुंच कर परमान्द पा सकते है। हमें मानव जीवन का महत्त्व समझना चाहिए और मानव जीवन का प्रभु भक्ति करके सही उपयोग करना ही हमारे मानव जीवन का एकमात्र लक्ष होना चाहिए।

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