बेल फल के बारे में जानकारी | Wood Apple Information In Hindi

    हैलो दोस्तों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। तो आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हे बेल फल के बारे में जानकारी, अमेजिंग फैक्ट्स, बेल खाने के फायदे और नुकशान, बेल की खेती और faq तो उम्मीद हे की आपको यह हमारा आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते हे बेल फल के बारे में।

बेल फल के बारे में जानकारी    

बेल फल के बारे में जानकारी

 

     बेल हमारे भारत में काफी प्रसिद्ध फल माना जाता हे। यह आकार में गोल तथा अंडाकार होता हे। बेल कच्चा हरा रंग का और पक्का पिले रंग का होता हे। इसके ऊपर की छिलके काफी कठोर एव मोटी होती हे। और इसके अंदर का भाग हल्के पिले रंग का गुदा पाया जाता हे। जिसे कई प्रकार से सेवन किया जाता हे। बेल दक्षिण भारत से लेकर उत्तर तक पाया जाता हे। इसके अलावा यह बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्री लंका, जावा, मलेशिया आदि देशो में पाया जाता हे। बेल के पेड़ कांटेदार होते हे जिस पर फूल लगते हे बाद में फूल ही फल के रूप में विकसित होते हे। पेड़ पर फल लगने के दौरान पत्ते झड़ जाते हे। बेल को दो भाग में विभाजित किया जा सकता हे। पहले छोटे बेल होते हे वो स्वाद में बहोत खट्टे होते हे साथ ही गले पर भी असर करते हे। और दूसरे बेल बड़े आकार में होते हे इसका गुदा खट्टापन के लिए मीठा होता हे। 

     इस फल में कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हे। जैसे की विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, मैग्नेशियम, फास्फोरस, फाइबर, प्रोटीन आदि। जो हमारे शरीर के लिए बहोत ही फायदेमंद माना जाता हे। बेल में बीटा कैरोटीन नामक तत्व भी मिलता हे।

बेल के बारे में अमेजिंग फैक्ट्स

1. बेल भारत का प्रसिद्ध फल माना जाता हे। 

2. बेल भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्री लंका, जावा, मलेशिया जैसे देशो में पाया जाता हे। 

3. बेल में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हे। 

4. बेल में विटामिन ए काफी मात्रा में पाया जाता हे जो हमारी आँखों के लिए फायदेमंद होता हे। 

5. बेल का पेड़ कांटेदार होता हे। जिस पर फूल भी देखने को मिल जाते हे। 

6. बेल की तासीर ठंडी होने के कारण इसका सेवन गर्मियों में ज्यादा होता हे। 

7. बेल का सेवन आप दिन में किसी भी समय कर सकते हे। 

बेल खाने के फायदे

1. लू से करे बचाव

    बेल का ज्यूस ही नहीं बल्कि बेल को रोस्ट करके खाने से भी लू की परिशानी को कम किया जा सकता हे। बेल में इम्युनिटी बूस्ट करने का गुण होता हे। साथ ही इससे आपके शरीर को ठंडक मिलती हे ऐसे में यह आपको लू जैसी समस्या से राहत दिलाने में प्रभावी हो सकता हे। 

2. आँखों के लिए 

    बेल का सेवन आँखों के लिए बहोत ही फायदेमंद माना जाता हे क्योकि बेल में विटामिन ए काफी मात्रा में पाया जाता हे जो आँखों की रौशनी को बहेतर करने में मदद करता हे।

3. कान दर्द से आराम

    रोजाना बेल का सेवन करने से कान में होने वाली समश्याओ से आराम मिलता हे। बेल का रोजाना सेवन करने से कान दर्द, कान से पानी आना जैसी समश्याओ से छुटकारा मिलता हे। 

 

4. गैस, कब्ज जैसी समस्या से आराम

    रोजाना बेल का सेवन शरीर के लिए बहोत ही फायदेमंद होता हे। बेल का सेवन करने से पेट में गैस, कब्ज जैसी बीमारियों से छुटकारा मिलता हे। अगर आपको गैस और कब्ज की समस्या हे तो आप अपनी डाइट में बेल को शामिल कर सकते हे।

5. पीलिया होने पर

    पीलिया होने का कारण लिवर में सूजन होना माना जाता हे। पीलिया होने पर बेल का सेवन करना एक अच्छा उपाय हे। बेल में एंटी इफ्लेमेंटरी गुण पाए जाते हे जो लिवर में होने वाली सूजन को कम कर पीलिया के उपचार में मदद कर सकते हे। 

बेल खाने के नुकशान

1. डायाबिटीज के मरीजों के लिए

    अगर आप डायाबिटीज के मरीज हे और बाजार में मिलने वाले बेल का शरबत का सेवन कर रहे हे तो जान ले की बेल के शरबत में शुगर की अधिक मात्रा आपके लिए नुकशानदायक हे। बेल खुद भी एक मीठा फल हे और इसका शरबत बनाने वाले लोग अक्शर थोड़ी मात्रा में चीनी मिला देते हे। इसलिए डायाबिटीज के मरीजों को बेल के शरबत का सेवन कम करना चाहिए।

2. गर्भवती महिलाओ को

    गर्भवती महिलाओ को बेल का शरबत का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योकि बेल के शरबत या ज्यूस के सेवन से गर्भपात का खतरा होता हे। इसके आलावा इसके सेवन से दूध पिलाने वाली महिलाओ मे दूध भी कम बनता हे।

3. पेट की समस्या

    बेल का अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट में कई तरह की परिशानिया हो सकती हे। जैसे की पेट में दर्द, पेट फूलना, सूजन, कब्ज, पाचन आदि समस्याये हो सकती हे। इसलिए बेल का कम मात्रा में सेवन करना चाहिए।

बेल का ज्यूस बनाने का तरीका इस वीडियो में

बेल की खेती के बारे में जानकारी

बेल की खेती के बारे में जानकारी

1. बेल की खेती का समय

     बेल के पौधो की रोपाई किसी भी समय की जा सकती हे। किन्तु पौधो की रोपाई मई और जून के महीने में कर देना उपयुक्त माना जाता हे। मगर सिंचाई की जगहों पर इस पौधे को मार्च के महीनो में भी रोपाई की जा सकती हे।

2. जलवायु

    बेल का पौधा शुष्क और अर्धशुष्क जलवायु वाला होता हे। सामान्य सर्दी और गर्मी वाले मौसम में इसके पौधे अच्छे से विकास करते हे। किन्तु अधिक समय तक सर्दी का मौसम बने रहने और गिरने वाला पौधो को कुछ हानि पहुंचाता हे। इसके पौधो को वर्षा की जरूरत नहीं होती हे।

3. मिट्टी

     बेल एक बहोत ही सहनशील वृक्ष हे। इसे किसी भी मिट्टी पर उगाया जा सकता हे। परन्तु जल निकासयुक्त बलुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त माना जाता हे। इसको बंजर, कंकरीली, खादर, बीहड़ भूमि में भी इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती हे। वैसे तो बेल की खेती के लिए 6-8 पि एच मान वाली भूमि अधिक उपयुक्त होती हे।

4. बेल की किस्मे

     बेल की कई तरह की किस्मे देखने को मिल जाती हे। जैसे की गोमा यशी, पंत अर्पणा, सी आई एस एच बी, पंत सुजाता, पूसा उर्वशी आदि हे। इनमे से आपको अपने बागबानी में कौनसी किस्म लगानी हे ये आपको तय करना होता हे। और जो किस्म लगानी हे उसका पौधा नर्सरी में तैयार करवालिया जाता हे।

5. बेल की खेती की तैयारी

     बेल के पौधो की रोपाई गड्डो में की जाती हे। इसलिए गड्डो की तैयारी करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती हे। इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए खुल्ला छोड़ दिया जाता हे। ताकि खेत को  अच्छी तरह से धुप लगे। इसके बाद खेत में तीन तिरछी जुताई की जाती हे। जुताई बाद खेत में पानी लगा दिया जाता हे। फिर पानी सूखने के बाद फिर जुताई की जाती हे बाद में खेत को समतल किया जाता हे। इस तरह खेत तैयार हो जाता हे। इसके बाद खेत में 6 मीटर की दुरी रखते हुए 1 फिट चौड़े और 1 फिट गहरे गड्डे किये जाते हे। इस गड्डो को तैयार करते समय उसमे रासायनिक और जैविक खाद्य को मिट्टी के साथ मिलाकर गड्डो में भर दिया जाता हे। 

6. पौधा रोपाई

     बेल के पोधो की रोपाई पौधे के रूप में की जाती हे। हमने जो गड्डे किये थे उनमे छोटे आकार के गड्डे करके पौधा रोपाई की जाती हे। बाद में उसे चारो और से मिट्टी से ढक दिया जाता हे। पौधो की रोपाई बाद इन्हे देखभाल करते रहना चाहिए। क्युकी कई पौधे सुक जाते हे इन्ही की जगह पर दूसरे पौधे लगा लेना चाहिए ताकि वो पौधे भी दूसरे पौधो की साथ ही तैयार हो जाये।

7. सिंचाई

     बेल के पौधे को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हे। इसकी पहली सिंचाई पौधे रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती हे। गर्मियों के मौसम में पौधे को 8 से 10 दिन के अंतर्गत पानी देना होता हे। तथा सर्दियों के मौसम में इसके पौधो को 15 से 20 दिन के अंतर्गत पानी देना होता हे। और बारिश के मौसम में पौधे को जरूरत पडने पर पानी देना होता हे। 

8. पौधो पर लगने वाले रोग

    बेल की फसल में भी कई तरह के रोग दिखने को मिल जाते हे। जैसे की बेल कैंकर, डाई बैंक, छोटे फलो का गिरना, पत्ती पर काला धब्बा, चितकबरी सुडी, सफ़ेद फंगल आदि। यदि इन रोगो का उपचार सही समय पर नहीं किया जाता तो पैदावार में अधिक हानि देखने को मिल जाती हे। 

9. फलो की तुड़ाई

    बेल का पौधा 6 से 7 साल बाद फल देना शुरू कर देता हे। जब इसके पौधो पर फल हरे, पिले रंग के दिखाई देने लगे तब फलो की तुड़ाई कर ले। फलो को उठाने-रखने में सावधानी का प्रयोग करे, नहीं तो फल गिरने के साथ ही इसमें दरार आ सकती हे। सभी फल एकत्रित करके बाजार भेज दिया जाता हे। 

अक्शर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या बेल को कच्चा खाया जा सकता है ?

हां बेल के गूदे को कच्चा खाया जा सकता हे। 

2. बेल की तासीर कैसी होती है ?

बेल की तासीर ठंडी होती हे। 

3. क्या रोजाना बेल का सेवन किया जा सकता है ?

दिन में एक कप बेल के ज्यूस का सेवन किया जा सकता हे।

4. बेल कहा कहा पाया जाता है ?

बेल भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्री लंका, जावा, मलेशिया आदि देशो में पाया जाता हे।

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” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “