तरबूज के बारे में जानकारी | Watermelon Fruit In Hindi

    हैलो दोस्तों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। तो आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हे तरबूज के बारे में जानकारी, अमेजिंग फैक्ट्स, तरबूज खाने के फायदे और नुकशान, तरबूज की खेती और Faq तो उम्मीद हे की आपको यह हमारा आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते हे तरबूज के बारे में…

 तरबूज के बारे में जानकारी    

तरबूज के बारे में जानकारी

 

 तरबूज एक ग्रीष्म ऋतु का फल हे। जो आकार में और फलो में सबसे बड़ा होता हे। तरबूज कंदु और खीरे का रिस्तेदार हे। तरबूज का छिलका कठोर और हरे रंग का होता हे। तरबूज का आंतरिक आवरण गुदा के रूप में होता हे। इसी गूदे को खाया जाता हे। यह गुदा लाल रंग का और नरम होता हे। इस गूदा में हल्के काले रंग के बीज होते हे। जिसे सुखाकर भी खाया जाता हे। तरबूज की करीबन 1200 से अधिक किस्मे देखने को मिल जाती हे। तरबूज पानी से भरपूर मीठे होते हे। इसकी फसल आमतौर पर गर्मी में तैयार होती हे। विश्व में तरबूज का सबसे अधिक उत्पादन चीन में होता हे। पारमरिक रूप से इन्हे गर्मी में खाना अच्छा माना जाता हे। क्योकि यह पानी की कमी को पूरा करते हे। तरबूज में करीबन 97% पानी होता हे यह शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को पूरा करता हे।

     तरबूज में कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हे जो हमारे शरीर के लिए बहोत ही फायदेमंद होते हे। तरबूज में विटामिन ए, सी , कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फाइबर, बीटा, केरोटीन, पोटैशियम, एंटीओक्सिडेंट, कैल्शियम, मैग्नेशियम और आयरन आदि पाए जाते हे।

तरबूज के बारे में अमेजिंग फैक्ट्स

1. 96 देशो में 1200 से ज्यादा प्रकार के तरबूज उगाये जाते हे। 

2. तरबूज में 97% पानी होता हे जो शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को पूरा करता हे। 

3. विश्व में तरबूज का सबसे अधिक उत्पादन चीन में होता हे। 

4. तरबूज कंदु और खीरे का रिस्तेदार हे। 

5. तरबूज में कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हे। जो शरीर के लिए बहोत ही फायदेमंद होते हे। 

6. तरबूज सबसे पहले आफ्रिका में पाया गया था। 

7. तरबूज गर्मियों में हमारे लिए बहोत ही फायदेमंद होता हे। 

8. 1990 में बिल कैसन ने 262 पाउंड का तरबूज उगाया था जिसे गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल किया था। 

9. तरबूज बहोत ही स्वादिस्ट फल होता हे। जिसकी वजह से यह पूरी  दुनिया में मशहूर हे।

तरबूज का ज्यूस बनाने का तरीका इस वीडियो में

तरबूज खाने के फायदे

1. पाचन शक्ति मजबूत करे

   पाचन शक्ति को मजबूती देने के लिए तरबूज आपकी मदद कर सकता हे। तरबूज में पानी की अधिकता होती हे और पानी भोजन पचाने में सबसे अहम तत्व माना जाता हे। इसमें फायबर भी पाया जाता हे जो पाचन तत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता हे। साथ ही साथ कब्ज और गैस जैसी समश्याओ से भी राहत मिलती हे।

2. हदय को स्वस्थ रखने के लिए

   कई लोगो को हार्ट अटैक मौत का कारण बन सकता हे। इसलिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस समस्या का समाधान किया जा सकता हे तरबूज में मौजूद पोषक तत्व हदय की सेहत के लिए फायदेमंद होते हे।  तरबूज में लाइकोपीन मौजूद होता हे जो ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोन को कम करने में मदद करता हे। 

3. वजन कम करने के लिए

    तरबूज का रोजाना सेवन करने से शरीर का वजन घट सकता हे। क्युकी तरबूज में फाइबर और पानी की मात्रा भरपूर होती हे। ऐसे अगर आप इसका सेवन नाश्ते में करते हे तो यह आपके पेट को लम्बे समय तक भरा हुआ रखता हे। इसके अलावा इसमें कैलोरी की मात्रा भी काफी कम होती हे। तरबूज के इन्ही गुणों की वजह से रोजाना इसका सेवन करने से वजन कम हो सकता हे।

4. त्वचा और बालो के लिए

   तरबूज में विटामिन ए और विटामिन सी होता हे जो हमारी त्वचा और बालो के लिए काफी फायदेमंद होते हे। विटामिन ए जो आपकी त्वचा को मुलायम बनाता हे और साथ ही हमारे बालो को भी मजबूत बनाता हे। क्योकि वो त्वचा की कोशिकाओं को रिपेर करने में मदद करता हे।

 

5. पानी की कमी को पूरा करे

    कई लोगो को गर्मी के दिनों में शरीर में पानी की कमी हो जाती हे। जिसे निपटने के लिए तरबूज का सेवन बढ़िया विकल्प हे। तरबूज में पानी की मात्रा अधिक होती हे। जिसे खाने से हमारे शरीर में पानी अपूर्ति होती हे।

तरबूज खाने के नुकशान

1. ग्लूकोज का स्तर

    तरबूज में ग्लाइसेमिक इंडेक्स की मात्रा काफी पायी जाती हे। यही कारण हे की तरबूज का ज्यादा सेवन करने से शरीर में ग्लूकोज लेवल में इजाफा हो सकता हे। इसलिए मधुमेह रोगियों को तो तरबूज का सेवन नियत्रित मात्रा में करने की सलाह दी जाती हे।

2. पेट हो सकता हे ख़राब

    तरबूज का सेवन एक ही बार में अधिक कर लेने से पेट से सबंधित समस्या हो सकती हे। इस फल में डायटरी फाइबर की मात्रा अधिक होती हे जिसकी वजह से ज्यादा खाने से पेट दर्द की समस्या होती हे। इसके अलावा तरबूज में पानी की मात्रा भी ज्यादा होती हे तो इसे ज्यादा खाने से ओवर हाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती हे। इस फल को अधिक मात्रा में खाने से पाचन तंत्र सबंधित समश्याए जैसे की गैस, पेट फूलना, दस्त आदि समश्याए होती हे।

3. कितनी मात्रा में खाये तरबूज

     अगर आपको तरबूज बहोत पसंद हे तो आप आधा किलो ही तरबूज खाये। क्युकी तरबूज में शुगर और कैलोरी होता हे इसलिए अधिक सेवन से डायबिटीज के मरीजों को समस्या हो सकती हे। आप तरबूज को काटकर भी खा सकते हे और इसका ज्यूस बनाकर भी पि सकते हे।

तरबूज की खेती के बारे में जानकारी

तरबूज की खेती के बारे में जानकारी

 

1. तरबूज की खेती का समय

    तरबूज के बीजो की रोपाई के लिए मध्य फरवरी और मध्य मार्च के महीनो को उपयुक्त माना जाता हे। इस महीनो में खेती करने से किसानो को अधिक मात्रा में उत्पादन प्राप्त होता हे।

2. जलवायु

     तरबूच का पौधा शुष्क जलवायु वाला होता हे। जिस वजह से इसकी खेती कम आद्रता वाले प्रदेशो में आसानी से की जाती हे। इसका पौधा गर्म और सर्द दोनों ही जलवायु के प्रति सहनशील होता हे। किन्तु सर्दियों में गिरने वाला पौधा विकास के लिए हानिकारक होता हे। तरबूज के पौधे अधिकतम 39 डिग्री तथा न्युन्यतम 15 डिग्री तापमान को ही सहन कर सकते हे। 

3. मिट्टी

     तरबूज की खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती हे। इसकी अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता हे। क्योकि अम्लीय मिट्टी में तरबूज का उत्पादन अधिक मात्रा में होता हे।

4. तरबूज की किस्मे

    आज के समय में बाजार में तरबूज की कई तरह की प्रजातियां देखने को मिल जाती हे। जैसे की शुगर बेबी, पूसा बेदाना, आशायी यामातो, दुर्गापुरा केसर, उर्का ज्योति, अर्का मानिक आदि किस्मे हे। जिसमे से आपको जो किस्म की खेती करनी हे वो कर सकते हे।

5. खेती की तैयारी

     तरबूज के खेत की जुताई कर उसे अच्छी तरह से तैयार कर लिया जाता हे। आरम्भ में खेत की गहरी जुताई कर ली जाती हे। जुताई बाद खेत की मिट्टी में धुप लगने के लिए उसे ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता हे। बाद में उस खेत में गोबर की खाद्य डालकर तीन तिरछी जुताई की जाती हे। बाद में खेत को समतल कर दिया जाता हे बाद में उस समतल भूमि में 5 से 6 फिट दुरी रखते हुए नालीनुमा लम्बी क्यारियों को तैयार कर लिया जाता हे। गोबर की खाद्य के साथ यूरिया, पोटास उचित मात्रा में मिटटी में मिलाकर गड्डो में भर दिया जाता हे। 

6. तरबूज के बीजो की रोपाई

     तरबूज के बीजो की रोपाई बीज के रूप में की जाती हे। भारत के मैदानी भागो में तरबूज को बड़ी मात्रा में उगाया जाता हे। इन बीजो को तैयार किये गए गड्डो में 2 से 3 फिट की दुरी पर 1 cm गहराई में लगाया जाता हे। बीज रोपाई के बाद गड्डो को पारदर्शी पॉलीथिन से ढक दिया जाता हे। तथा पॉलीथिन में कुछ दुरी पर हल्के हल्के छेद कर दिए जाते हे। ताकि पौधे को धुप मिलती रहे।

7. सिंचाई

     मैदानी और शुष्क क्षेत्रों में की गई बीजो की रोपाई में सिंचाई की अधिक जरूरत होती हे। इस दौरान पहली सिंचाई बीज रोपाई के तुरंत बाद करना होता हे। तथा दूसरी सिंचाई 3 से 4 दिन के अंतर्गत की जाती हे। 

8. पौधे पर लगने वाले रोग

     तरबूज के पौधे में कई तरह के रोग दिखने को मिल जाते हे जैसे की कद्दू का लाल कीड़ा, फल की मखहि, बुकनी रोग, डाउनी मिड्लु, फलुजेरियम विल्ट आदि। यह रोग फसल में न आये इसलिए रोजाना फसल की देखभाल करते रहना चाहिए और रोग दिखे तो तुरंत ही इसका इलाज कर देना चाहिए।

9. तरबूज की तुड़ाई

     तरबूज के पौधे बीज रोपाई के 85 से 90 दिन पश्यात तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हे। जब इसके फलो में लगा डठल सूखा दिखाई देने लगे तब इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। फल हल्का पीला दिखाई दे तो समझ जाना की फल पूरी तरह से पक गया हे। फल की तुड़ाई बाद इन्हे पैक करके बाजार भेज दिया जाता हे।

अक्शर पूछे जाने वाले सवाल

1. तरबूज कब नहीं खाना चाहिए ?

तरबूज में चीनी की मात्रा बहोत ज्यादा होती हे इसलिए रात में नहीं खाना चाहिए। रात में खाने से यह अच्छी तरह से पच नहीं पाता और ब्लड में शुगर के लेवल को बढ़ा देता हे। रात के दौरान तरबूज का पाचन बहोत धीमा और मुश्किल होता हे। 

2. तरबूज की तासीर कैसी होती हे ?

तरबूज की तासीर ठंडी होती हे। जिसे गर्मी के मौसम में खाना अच्छा होता हे। 

3. विश्व में सबसे अधिक तरबूज का उत्पादन कहा होता हे ?

विश्व में सबसे अधिक तरबूज का उत्पादन चीन में होता हे। 

4. तरबूज सबसे पहले कहा पाया गया था ?

तरबूज सबसे पहले आफ्रिका में पाया गया था। 

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” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “