Samajh Shayari In Hindi
समझ ने वाला कहा मिलता हे कोई
जो भी मिलता हे समझा के
चला जाता हे।
थक जाता हु कभी अनकहे
शब्दों के बोझ से
पता नहीं चुप रहना समझदारी हे
या मज़बूरी।
दोनों ही बर्बाद होने लगते हे
परिवार और समाज
जब समझदार मौन और ना
समझ बोलने लगते हे।
आज तक कौन समझ पाया हे हमें
हम अपने हादसों के इकलोते
गवाह हे।
ख़ामोशी को न समझ सके
जो तुम्हारी
वो तुम्हारी बाते क्या समझेंगा।
उनका जूठ पकड़ लेते हे हम
समझदार इतने हे की
पर इनके दीवाने भी इतने हे की
फिर भी सच मान लेते हे।
इश्क में क्या रखा हे दिल को
समझाओ जरा
किस लिए आपको दीवाना बना
रखा हे।
वफ़ा करे तो किससे करे
समझ नहीं आता
मिट्टी के बने लोग कागज के
टुकड़ो में बिक जाते हे।
Samajh Shayari Image
किसी से कम नहीं समझना चाहिए
खुद को आप जितना सोचते हे
उससे कई ज्यादा कर सकते हे।
न बहार से आसमान हु न
अंदर से समंदर
बस मुझे उतना समझ जितना
नजर आता हु में।
समझदार ही क्यों झुकता हे
हर समझौते में
कोई झांक के देख एक बार की वो
अंदर से कितना टूटता हे।
एक बार किसी को गलत
समझने से पहले
उसके हालत समझने की
कोशिश जरूर करना।
मोहब्बत के उसूलो को काश
तू समझ सकती
किसी की सांसो में समाकर
उसे तन्हा नहीं करते।
खामोश रहता हु क्योकि अभी दुनिया को
समझ रहा हु समय जरूर लगेगा
पर जिस दिन दाव खेलूंगा उस दिन खिलाडी
भी मेरे होंगे और खेल भी मेरा होगा।
आपको भी दुःख होता हे अगर दूसरे
के दुःख को देखकर तो
समझ लेना की भगवान ने आपको इंसान
बनाकर कोई गलती नहीं की।
न किसी की जान चाहिए न किसी
का दिल चाहिए
जो मुझे समझ सके बस ऐसा
एक इंसान चाहिए।
मेरी चाहत की इंतहा को तुम
काश समझ पाओ
हैरान रह जाओंगे तुम अपनी
खुश नसीबी पर।
उम्र के साथ ज्यादा कुछ नहीं
नहीं बदलता
बचपन की जिद समझोतो में
बदल जाती हे।
बेहद प्यार आता हे मुझे उस
वक्त तुम पर
जब मेरे कहने से पहले ही तुम
मेरे दिल की बात समझ
जाती हो।
मेरी चाहत की इंतहा अगर
तुम समझ पाते
तो हम तुमसे नहीं तुम हमसे
मोहब्बत करते।
चहेरे की चमक और घर की
ऊंचाईयो पर मत जाना
घर के बुजुर्ग अगर मुस्कुराते मिले तो
समझ लेना की आशियाना अमीरो का हे।
अहम किरदार होता हे शब्दों
और सोच का भी
कभी हम समझ नहीं पाते हे
और कभी समझा नहीं पाते हे।
मेरा शौख मत समझना मेरी
तन्हाई को
बहोत प्यार से दिया हे ये
तोहफा किसी ने।
एक कला हे रिश्ते संभालकर
रखना भी
जो उसे सिख गया समझो उसने
दिलो को जित लिया।
Samajh Par Shayari
अलग करवाते हे जिन्हे समाज से
वो अनपढ़ गावार कहकर
वही समाज से पढ़े लिखो से ज्यादा
समझदार कहलाते हे।
अपने दर्द को किन लफ्जो
में बया करू
सुनने वाले तो बहोत हे
समझने वाला कोई नहीं हे।
हम अपनी मंजिल अब उसी
को समझ ने लगे
इस सफ़ीने की जो किस्मत में
किनारा होगा।
क्या करेंगे दास्ता सुनकर
चलो अब जाने भी दो
ख़ामोशी तुम समझोंगे नहीं और
बया हमसे होगा नहीं।
एक छोटा शब्द हे विश्वास
उसको पढ़ने में एक सेकंड लगता हे
सोचो तो एक मिनिट लगता हे
समझो तो एक दिन लगता हे
पर साबित करने में जिंदगी बीत जाती हे।
हम सुनते हे वो गजल लिखते हे और
वो सबपे लिखते हे और हम नासमझ
खुद पे समझते हे।
( ये पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद )