धुप शायरी || Dhoop Shayari, Quotes In Hindi With Image

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Dhoop Shayari In Hindi

 

धुप शायरी

 

 वो क्या गरीबो की तकलीफ समझेंगे 

जो गर्मी की धुप में भी दो चार 

कदम चल नहीं सकते। 

 

हर मुस्किलो से लड़ता आया हु बस 

यही सोचकर 

की धुप कितनी भी तेज हो समंदर 

सूखा नहीं करते। 

 

 

मेरे शहर में गजब की धुप हे 

फिर भी कुछ लोग धुप से नहीं 

मुझसे जलते हे। 

 

कुछ याद दिलाती हे हर सुबह की धुप 

हर फूल की खुशबु एक जादू जगाती हे 

चाहु न चाहु मगर सुबह आपकी 

याद आ ही जाती हे। 

 

Dhoop Shayari In Hindi

 

आसान लगता हे ये तेज धुप में भी सफर 

ये माँ की दुआ का असर 

लगता हे। 

 

दोपहर की धुप में तू शायरी 

कोई मीर की 

मिल जाये हम लेकिन साजिस 

तो हो तक़दीर की। 

 

 

जो दे कड़ी धुप में वृक्ष जैसी छाया 

ऐसी हे इसके ज्ञान की माया 

कोई रक्त सबंध नहीं होता 

फिर भी हे जीवन का अनमोल बंधन। 

 

जिंदगी में जब भी धुप में बरसाद का 

मंजर देखा तो 

तेरी हसती हुई आँखों की नमि याद आ गई। 

 

Dhoop Shayari Image

 

Dhup Shayari Image

 

सफर था धुप में और पैरो में थकान 

में कैसे रुकता क्योकि बाकी

 था मेरा उड़ान। 

 

चाँद जैसी हे रुके तो और चले तो हवा जैसी 

वो माँ ही हे जो धुप में भी छाव 

जैसी हे। 

 

चल सको तो चलो सफर में 

धुप तो होंगी 

सभी हे भीड़ में तुम भी निकल 

सको तो चलो। 

 

ठंड पर शायरी 

समेट कर धुप जाती हे उजले 

पैरो को 

जख्मो को अब गिनूँगी में 

बिस्तर पे लेट कर। 

 

Dhup Quotes In Hindi

 

इसकी शिकायत कैसी धुप तो धुप हे 

आपकी बरसाद में कुछ पेड़ 

लगाना साहेब। 

हम यहां घरो में जल रहे हे ये जिंदगी 

कुछ तो थोड़ा रहम कर 

और फिर उनका तो सोच जो बिना 

छतो के पल रहे हे। 

 

शहर में गजब की धुप हे मगर 

किसी का दिल पिघलते

नहीं देखा मेने। 

 

धुप पर शायरों के अल्फाज 

रूहानी होती हे वक्त की ताकत 

सर्दी की धुप कितनी सुहानी 

होती हे। 

 

Dhup Shayari 2021

 

Dhoop Shayari 2021

 

बात हे जनाब वक्त वक्त की आज धुप 

से सुकून हे कल 

इसी धुप से तुम्हे जलन होंगी। 

 

अजब धुप छाव का मौसम रुका हुआ हे 

गुजर रहा हे कोई दिल से 

बादलो की तरह। 

 

 

मेरे सदके में लाये हो नवंबर की 

गुनगुनी धुप 

में भी दिसम्बर की गुलाबी राते 

तुम पर निसार कर दूंगा। 

 

मुझे रक्खा छाव में और खुद जलता 

रहा धुप में 

मेने देखा हे एक फरिस्ता मेरे 

पिता के रूप में। 

 

shayari On Dhup

 

आँगन में आके ठहर गई धुप 

सोने सा चमकने लगा 

सारे आँगन में चांदनी ने पैर पसारे 

धुप के जाने के बाद। 

 

सुनहरा था धुप का रंग जब जागा 

तब सवेरा न था

एहतराम किया तमाम ख्वाईशो का 

पर जो मेरा न था, वो मेरा न था। 

 

( ये पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद )