अनार के बारे में जानकारी | Pomegranate In Hindi

👉 हैलो दोस्तों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। तो आज में आपको इस आर्टिकल में बात करने वाला हु अनार के बारे में जानकारी, अमेजिंग फैक्ट्स, अनार खाने के फायदे और नुकशान, अनार की खेती और FAQ तो उम्मीद हे की आपको यह मेरा आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते हे अनार के बारे में।

अनार के बारे में जानकारी

 

अनार फल के बारे में जानकारी

👉 अनार एक मीठे स्वाद वाला फल हे। जिसमे लाल रंग के रसीले अनेक दाने होते हे। अनार दुनिया के गर्म प्रदेशो में पाया जाता हे। स्वास्थ्य की द्रष्ट्री से यह एक महत्वपूर्ण फल हे। अनार का वैज्ञानिक नाम पुनिका ग्रैन्टम (Punica Granatum) हे। अनार के फल को सीधे भी यानी दाने निकालकर भी खाया जाता हे और ज्यूस निकालकर भी पिया जा सकता हे। अनार स्वादिस्ट के साथ-साथ गुणों से भरपूर होता हे। अनार को सबसे ज्यादा स्वास्थवर्धक और पोषक तत्वों से भरपूर फल माना जाता हे। 

👉 अनार में कई तरह के पोषक तत्व भी पाए जाते हे जैसे की प्रोटीन, आयरन, विटामिन A, विटामिन C, विटामिन E, विटामिन K, पोटैशियम, थाइमिन, फाइबर आदि पोषक तत्व पाए जाते हे जो हमारे शरीर के लिए बहोत फायदेमंद होते हे।

अनार के बारे में अमेज़िंग फैक्ट्स

👉 अनार का वानस्पतिक नाम प्युनिका ग्रेनेटम हे और यह प्यूनिकैसी कुल का हे।

👉 अनार का सेवन करने से चहेरे पर दाग और धब्बे को हटा सकते हे।

👉 अनार के ज्यूस में किसी अन्य फल के ज्यूस से ज्यादा एंटीओक्सिडेंट होता हे।

👉 अनार की खेती मूसा के समय से पहले मिस्र में की जाती थी।

👉 अनार एक ऐसा फल हे जिसकी तासीर ठंडी होती हे।

👉 भारत में अनार की खेती सबसे ज्यादा उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, कर्नाटक आदि राज्यों में होती हे।

👉 प्रतिदिन एक ग्लास अनार का ज्यूस पिने से सेहत अच्छी रहती हे।

👉 रोजाना एक अनार खाने से दिल की बीमारी का खतरा बेहद कम हो जाता हे।

👉 अनार में फाइबर, विटामिन सी, बी, आयरन, पोटैशियम, जिंक आदि ढेर सारे मिनरल्स पाए जाते हे जो हमारे शरीर के लिए बेहद लाभकारी होते हे।

 

अनार फल खाने के फायदे

1. पाचन के लिए

👉 अनार का ज्यूस आंत्र की सूजन को कम करके पाचन में सुधार करता हे। यह क्रोन की बिमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस और अन्य आंत्र सूजन वाले रोगो के लिए फायदेमंद भी हो सकता हे।

2. नाख़ून की समस्या

👉 नाख़ून सबंधित रोगो में भी अनार के इस्तेमाल से फायदा मिलता हे। अनार के फूल, धमासा और हरड को बराबर-बराबर मात्रा में पीस ले और इसे नाख़ून पर लगाए। इससे नाख़ून के भीतर की सूजन, और नाख़ून के दर्द ठीक हो जाते हे।

3. ब्लड प्रेशर

👉 रोजाना अनार का ज्यूस पिने से सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिल सकती हे। लेकिन यह निर्धारित करने के लिए अधिक अध्ययन किये जाने की आवश्यकता हे। की अनार का ज्यूस लंबे समय तक समग्र ब्लड प्रेशर को कम कर सकता हे या नहीं।

4. आँखों के रोग

👉 अनार के पत्तो के रस को आँखों पर लगाने से आँखों का दर्द ठीक होता हे। और आँखों के अन्य रोगो में भी लाभ होता हे।

5. दांतो के लिए

👉 अनार में एंटीबैक्टेरिया और एंटी-फंगल गुण होते हे। जो मुँह में फ्लेक के निर्माण को रोकता हे। और मुँह में इंफेक्शन और सूजन से लड़ने में भी मदद करते हे। जैसे की गिंगिवाइटिस और पिरियडॉटाइटिस।

 

अनार फल खाने के नुकशान

1. पाचन के लिए

👉 जिन लोगो को पाचन एसिडिटी की समश्या हे उन्हें अनार का सेवन नहीं करना चाहिए। अनार की तासीर ठंडी होती हे, जिससे खाना सही से पच नहीं पाता। और पाचन, एसिडिटी की समस्या हो सकती हे।

2. खांसी से परीशान लोग

👉 अनार की तासीर ठंडी होती हे, इसलिए अगर आप वाइरल या फिर खांसी से झुज रहे हे, तो अनार का सेवन न करे। अनार खाने से संक्रमण बढ़ सकता हे।

3. एलर्जी

👉 जिन लोगो को अनार खाने से त्वचा पर खुजली, सूजन या इंफेक्शन होता इन लोगो को अनार का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योकि उन लोगो को अनार का सेवन नुकशानदायक हो सकता हे।

4. कब्ज और गैस्ट्रिक

👉 अनार का सेवन उन लोगो को लिए नुकशानदायक हो सकता हे, जो कब्ज या गेस्ट्रिक से जुडी परिशानियों से झुज रहे हो। ऐसा इसलिए क्योकि अनार खाने से इन लोगो का डायजेक्टिव सिस्टम और बिगड़ सकता हे।

👉 अनार का रस अगर आप अपनी त्वचा पर लगाते हे तो कई लोगो को खुजली, सूजन या साँस लेने में तकलीफ हो सकती हे। 

 

अनार फल की खेती के बारे में जानकारी

अनार फल के बारे में जानकारी

1. जलवायु

👉 अनार उपोष्ण जलवायु का पौधा हे। यह अद्र शुष्क जलवायु में अच्छी तरह उगाया जा सकता हे। फलो के विकास एव पकने के समय गर्म एव शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती हे। लम्बे समय तक उच्च तापमान में रहने से फलो में मिठास बढ़ती हे। आद्र जलवायु से फलो की गुणवत्ता प्रभावित होती हे। एव फंफूद जनक रोगो का प्रकोप बढ़ जाता हे। इसकी खेती समुद्रतल से 500 मीटर से अधिक ऊँचे स्थानों पर की जा सकती हे।

2. मिट्टी

👉 अनार की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली हल्की भूमि की आवश्यकता होती हे। इसके आलावा रेतीली बलुई दोमट मिट्टी भी अनार की खेती के लिए उपयुक्त होती हे। इसकी खेत में भूमि का P.H मान 6.5 के 7.5 के मध्य होना चाहिए।

3. खेती की तैयारी

👉 सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से जुताई करवा दे बाद में खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे और कुछ दिनों बाद खेत को धुप लग जाने के बाद फिर से कल्टीवेटर के माध्यम से दो से तीन तिरसी जुताई कर दी जाती हे। बाद में खेत में पानी लगाकर ऐसे खुला छोड़ दे बाद में सुख जाने के बाद फिर से रोटावेटर लगाकर खेत की जुताई की जाती हे। इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती हे इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता हे। 

👉 खेत को समतल कर देने के बाद 4 से 5 मीटर की दुरी रखते हुए पक्तियो में गड्डो को तैयार कर लिया जाता हे। यह गड्डे दो फिट चौड़े और दो फिट गहरे तैयार किये जाते हे। गड्डे तैयार करने के बाद उसमे 10 से 15 Kg रासायनिक और जैविक खाद्य मिलकर गड्डो में भर दिया जाता हे। बाद में उस गड्डो में हल्की सी सिंचाई कर दी जाती हे। यह रोपाई से एक महीने पहले तैयार कर लिया जाता हे।

4. उन्नत किस्मे

👉 वैसे तो अनार की कई तरह की किस्मे से जो बहोत अच्छी मानी जाती हे मगर आज हम बात करने वाले हे वो किस्मे जिससे उपज करने से अच्छी कमाई हो सकती हे। जैसे की अन्तका कंधारी, ढोलका जालोर बेदाना, ज्योति पेपर सेल, भगवा गणेश, रूबी मुर्दुला आदि किस्मे हे जिसमे से आपको अपनी बागबानी के लिए तय करना होता हे।

👉 आपने जो किस्म अपनी बागबानी के लिए पसंद की हे उसे पहले नर्सरी में पौधा तैयार करवाने के लिए भेज दिया जाता हे।

5. पौधा रोपाई

👉 अनार के पौधो की रोपाई के लिए बारिश का मौसम अच्छा माना जाता हे। इसमें पौधा अच्छे से विकास करता हे। सिंचित जगहों पर इसके पौधो की रोपाई बारिश के मौसम से पहले भी की जा सकती हे। 

👉 अनार के पौधे खेत में लगाने से पहले उन्हें क्लोरपाइरीफोस पाउडर से उपचारित कर लिया जाता हे। इसके बाद पौधो को लगाने से पहले तैयार गड्डो में एक छोटा सा गड्डा तैयार कर लिया जाता हे। इसके बाद इस गड्डे में पौधो को लगाकर उन्हें चारो तरफ मिट्टी से अच्छे से ढक देते हे।

6. सिंचाई

👉 अनार के पौधो को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती हे। यदि इसके पौधे की रोपाई बारिश के मौसम में की गई हे तो इसके पहली सिंचाई को 4 से 5 दिन के अंतराल करना होता हे। यदि पौधो को बारिश के मौसम पहले लगाया हो तो इन्हे तुरंत ही सिंचाई की आवश्यकता होती हे। बारिश का मौसम समाप्त हो जाने के बाद 10 से 15 दिन के अंतराल पानी दे। जब पौधो को फूल आने लग जाये तो उन्हें डेढ़ महीने के अंतराल पानी दे। अनार के पौधो की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि सबसे अच्छी मानी जाती हे क्योकि इसमें पौधे को उचित मात्रा में पानी मिलता हे।

7. पौधे पर लगने वाले रोग

👉 अनार के पौधे पर कई तरह के रोग दीखते मिलते हे। और अनार के फल पर भी कई रोग दिखाई देते हे। जैसे की पत्ती व् फल धब्बा रोग, पत्ती मोड़क रोग, तेलीय धब्बा रोग आदि रोग अनार की बागबानी में दिखाई देते हे। यह रोग हमारी बागबानी में न आये इसलिए रोजाना पौधे को देखते रहना चाहिए ताकि कोई रोग दिखे तुरंत ही इसका इलाज हो जाये।

8. फलो की तुड़ाई

👉 अनार की उन्नत किस्मे 120 से 130 दिन पछ्यात पैदावार देना आरम्भ कर देती हे। जब उसके फलो का रंग ऊपर से पीलापन लिए हुए लाल रंग का हो जाये, उस दौरान इसके फलो की तुड़ाई कर ली जाती हे। फलो की तुड़ाई बाद इसे अच्छे से पेकिंग करके बाजार भेज दिया जाता हे।

 

अनार के बारे में अक्शर पूछे जाने वाले सवाल

1. प्रतिदिन कितने अनार का सेवन किया जा सकता हे।

👉 सामान्य रूप से प्रतिदिन मध्यम आकार के एक से दो अनार का सेवन किया जा सकता हे।

2. अनार सबसे ज्यादा कहा पैदा होता है?

वर्तमान में कैलिफोनिया सयुक्त राज्य अमेरिका में अनार का सबसे बड़ा उत्पादक हे।

3. अनार कहा पाया जाता है?

अनार दुनिया के गर्म प्रदेशो में पाया जाता हे। भारत में अनार के पेड़ अधिकतर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात आदि जगहे पाए जाते हे।

4. अनार में कितने बीज होते है?

अनार के अंदर लगभग 600 दाने यानी बिज होते हे। जो खाने योग्य होते हे।

5. अनार फल की तासीर कैसी होती है?

अनार फल की तासीर ठंडी होती हे।

 

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” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “