⇨ प्रकृति और मनुष्य का एक गहरा नाता हे। प्रकृति हमें सिर्फ और सिर्फ देना सिखाती हे। बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ बांटना सिखाती हे। मनुष्य के जीवन में प्रकृति का बड़ा महत्व हे। हम सब कुछ प्रकृति से ही सीखते व् अर्जित करते हे। प्रकृति हमें जीवन जीने का तरीका सिखाती हे। तो उम्मीद हे की आपको यह आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते हे प्रकृति से हमें क्या क्या सिखने को मिलता हे।
प्रकृति से हमें क्या सिखने को मिलता हे
1. पेड़
कभी कभी हमारे जीवन में कुछ ऐसी घटनाये होती हे। जिससे हम बहोत निराश महसूस करते हे। ऐसा लगता हे जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया हे और हम डिप्रेशन में चले जाते हे। और कई लोग होते हे जो बेवकूफी भरे कदम उठा लेते हे। जैसे की आत्महत्या वैसे ही सोचिये अगर पतझड़ के समय जब पेड़ में एक भी पत्ती नहीं बचती तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता हे। नहीं क्योकि वो हार नहीं मानता नए जीवन और बहार की आस में खड़ा रहता हे। और जल्द ही उस पेड़ में नहीं पत्तिया आने लगती हे। और उसके जीवन में फिर बहार आ जाती हे। यही प्रकृति का नियम हे विश्वास रखना चाहिए की नई जिंदगी पुरानी से कई बहेतर होंगी।
2. नदी
जिस तरह नदी के पानी का बहाव ऊँचे लेवल से निचे लेवल की और ही होता हे। उसी तरह हमारी जिंदगी में भी प्रेम भाव का प्रवाह बड़े से छोटे की और होता हे। इसलिए हमें कभी भी अपने आप को दुसरो के सामने ज्ञानवान और बड़ा बताने की जरूरत नहीं हे।
3 पर्वत
जब कोई ऊँचे पर्वत की चोटी से आवाज लगाता हे तो वही आवाज वापस लौटकर उसी को सुनाई देती हे। यही घटना हमारे जीवन में भी लागु होती हे। हम वही पाते हे जो हम दुसरो को देते हे। हम जैसा व्यवहार दुसरो के लिए करते हे वही हमें वापस मिलता हे। अगर हम दुसरो का सम्मान करते हे तो हमे भी सम्मान ही मिलेगा। यदि हम दुसरो के बारे में गलत भाव रखेंगे तो वापस हमें ही मिलेगा। अतः आप जैसा करते हे वैसा ही आपको मिलेगा।
4. फूल
जिस तरह कमल कीचड़ में रहकर भी अपने अंदर कीचड़ वाले गुण विकसित नहीं होने देता। उसी तरह चाहे हमारे आस पास कितनी भी बुराइया हो पर उसे अपने अंदर घुसने नहीं देना चाहिए। अतः में कमल कीचड़ में रहकर भी अपनी अलग पहचान बनाता हे। वैसे ही हमें भी अपनी अलग पहचान बनानी चाहिए।
5. छोटा पौधा
जिस तरह विशाल पेड़ को तैयार होने में समय लगता हे। उसी तरह हमारे महान लक्ष को पूरा होने में समय लगता हे। लेकिन कुछ लोग धैर्य नहीं रख पाते और अपना काम बिच में ही छोड़ देते हे। ऐसा करने वाले लोगो को बाद में पछतावा ही होता हे। अतः छोटे पौधे से विशाल पेड़ को तैयार होने में समय लगता हे। वैसे ही बड़े लक्ष में सफलता के लिए कड़ी महेनत के अलावा धैर्य की भी आवश्यकता होती हे।
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” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “