⇨ हमारे जीवन में बिजली का बहोत ज्यादा महत्व है। आजकल हम देखते ही हे इस युग में मनुष्य को बिजली इस्तमाल करने की आदत लग चुकी हे। मनुष्य को बिजली की इतनी आदत लग चुकी हे की बिजली के बगैर जीवन की कल्पना करना भी बहोत ज्यादा मुश्किल हे। इस समय में सभी मशीने, घर का छोटा मोटा सामान सभी आजकल बिजली से चलता हे। बिजली वास्तव में हम सभी के लिए बहोत महत्वपूर्ण हे। तो आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हे बिजली कितने प्रकार से बनती हे तो उम्मीद हे की आपको यह आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते हे बिजली कितने प्रकार से बनती हे ?
बिजली कितने प्रकार से बनती है
1. कोयले द्वारा
दुनिया में कई ऐसी जगह हे जहा पर नदियों पर बांध का निर्माण सम्भव नहीं होता। ऐसी अवस्थामे वहा पर पानी को कोयले की सहायता से पहले गर्म किया जाता हे। और जो उसमे से बाफ निकलता हे उसे टरबाइन पर काफी तेजी से डाला जाता हे। जिसके कारण बिजली उत्पन होती हे।
इस प्रक्रिया में पानी को गर्म करने के लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता हे। मगर पहले इसका चुरा बना लिया जाता हे। तब बॉयलर युक्त फ़नस में जलाया जाता हे। और जब पानी गर्म हो जाता हे तो वह भाप में कन्वट हो जाता हे। जिसका तापमान करीबन 500 से लेकर 1000 डिग्री सिंटिग्रेड के आसपास तक होता हे।
2. पानी द्वारा
इस प्रक्रिया को करने के लिए टरबाइन का प्रयोग किया हे। पानी द्वारा बिजली उत्पन करने के लिए नदियों पर बांध बांधने पड़ते हे। जिससे पानी स्टोर होता हे जिसके बाद पानी को ऊंचाई से गिराया जाता हे। जिससे निचे टरबाइन पर गिरता हे जिससे टरबाइन की ब्लेड गुमने लगती हे। और उसमे मैकेनिकल एनर्जी पैदा होती हे उसके द्वारा जनरेटर घुमाया जाता हे। और जनरेटर द्वारा बिजली उत्पन होती हे।
3. पवन द्वारा
बहती वायु से उत्पन की गई ऊर्जा को पवन ऊर्जा कहते हे। वायु एक नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोत हे। पवन ऊर्जा बनाने के लिए सबसे ज्यादा हवादार जगहों पर पवन चक्कियों को लगाया जाता हे। हवाएं बहते ही चक्किया घूमने लगती हे जिसके द्वारा वायु की गतिज ऊर्जा यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन हो जाती हे। इस यांत्रिक ऊर्जा को जनित्र की मदद से विधुत ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता हे।
4. सौर्यउर्जा द्वारा
सूर्य के द्वारा बिजली उत्पादन करने की प्रक्रिया को सौर्य ऊर्जा कहा जाता हे। हमारे देश में सूर्य लगभग 300 दिन हमें प्रकाश प्रदान करता हे। जिसमे काफी ऊर्जा होती हे। सूर्य से आने वाली ऊर्जा को सिलिकॉन सेल की बनी उपकर पर एकत्रित करके सूर्य की रौशनी को बिजली में बदला जा सकता हे। उस एनर्जी को सोलर एनर्जी कहते हे।
5. भूतापीय ऊर्जा
जिस स्थान पर ज्वालामुखी निकलता हे वहा जमीन के निचे गड्ढा गोडा जाता हे। और उस ऊर्जा का प्रयोग बिजली बनाने में करते हे। ज्वालामुखी का तापमान लगभग 1000 से 1500 डिग्री सेंटीग्रेड होता हे। न्यूजीलैंड, इटली और जापान में इस तकनीक से बिजली का उत्पादन किया जा रहा हे।
6. डीजल के द्वारा
घरो के अंदर शादी तथा पार्टियों में जनरेटर का इस्तमाल किया जाता हे। यह जनरेटर डीजल के द्वारा चलता हे। डीजल के द्वारा इंजन स्टाट किया जाता हे। और यह इंजन चुम्बकों के मध्य स्थित कुंडली को घुमाने का काम करता हे और इससे बिजली बनती हे।
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” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “