जीवन में परिवर्तन बहोत ही जरुरी हे। दुःख का सुख में परिवर्तन, शक्तिहीनता का शक्ति सपन्नता में परिवर्तन यह तो केवल तभी सम्भव हे जब जीवन में परिवर्तन की धारा प्रवाहित हो जो स्वय को पहचान सके, पा सके, वे ही अपने दुःख को अपने सुख में परिवर्तन कर सकते हे। जो लोग परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर पाते, वे वक्त के साथ नहीं चल पाते हालांकि इस परिवर्तन को सकारात्मक होना चाहिए। परिवर्तन जीवन का एक आवश्यक हिस्सा हे। बदलाव के बिना जीवन नहीं होता हमारे जीवन में वास्तव में परिवर्तन होता हे। जीवन में परिवर्तन बिना कुछ भी नहीं हो सकता हे। जिस प्रकार एक छोटा सा पौधा समय के अनुसार एक विशाल पेड़ बनता हे। ठीक उसी तरह इस धरती पर हर प्राणी के साथ परिवर्तन एक प्रकार से जुड़ा हुआ हे। जीवन और परिवर्तन दोनों ही एक साथ चलते ही रहते हे। जीवन को प्रगतिशील बनाने के लिए परिवर्तन खुबज आवश्यक हे।
1. खुद को जिम्मेदार बनाए
जिम्मेदारी का मतलब छोटे से लेकर बड़ा काम अपनी जिम्मेदारी पर करे। हर अपनी गलती को अपने सर पर ले। वो इसलिए की फिर वो काम करते वक्त वो गलती ना हो। मेरी जिंदगी मेरी जिम्मेदारी से यह अभिप्राय हे। हर एक व्यक्ति को सफल जिंदगी बनाने के लिए खुद ही अपनी जिम्मेदारी समझनी होंगी। किसी भी व्यक्ति या वस्तु के लिए जो हमारे कर्तव्य होते हे वही उस व्यक्ति या वस्तु के लिए हमारी जिम्मेदारी होती हे। प्रत्येक व्यक्ति में जिम्मेदारी स्वीकार करने की भावना होनी चाहिए।
2. धैर्यवान बने
जब कोई व्यक्ति खुद को किसी काम को करने से रोक ले जिसे वह कर सकता हे। तो हम ऐसे व्यक्ति को धैर्यवान कह सकते हे। धैर्य रखने का अर्थ शांति के साथ कदम उठाना और परिणाम का इंतजार करना हे। कुछ लोग धैर्य का अलग ही अर्थ निकालते हे जैसे की पहला घुट समस्या के सामने आने पर स्वय को असहाय पाते हे। और रोने धोने लगता हे। उससे बहार आने का प्रयास नहीं करते। और दूसरा घुट वह हे जो समस्या का डट कर सामना करते हे। और उसका हल निकाल ते हे और परमेश्वर का आभार वक्त करते हे।
3. सही लक्ष तय करे
अधिकांश लोगो के पास उनका निर्धारित लक्ष या प्लान नहीं होता। जब की यह काफी आवश्यक हे। जो हम जीवन में पाना चाहते हे उसे पाने के लिए उसके पीछे लग जाना यह लक्ष कहा जाता हे। जीवन अगर प्रगतिपथ पर ले जाना चाहते हे तो एक सही लक्ष होना बेहद जरुरी हे। एक स्पस्ट रूप से परिभाषित ध्येय के आभाव में समय बर्बाद करने के बदले जीवन में सुस्पस्ट उद्देश्य रखे तथा लक्ष निर्धारण के बाद ध्येय की तरफ कदम बढ़ाते हुए यह भी ध्यान रखे की आपका हर कदम एक छोटा लक्ष हे। ऐसा मानते हुए आगे बढ़ना इसलिए आवश्यक हे। क्योकि यही छोटे लक्ष उपलब्धि के ईंधन बनते हे।
4. लक्ष के लिए कार्य करे
आज से ही अपने लक्ष की और काम करना शुरू कर दे। लक्ष की प्राप्ति का सबसे कठिन काम हे। इसके और पहला कदम आगे बढ़ाना भले ही आपको आगे बढ़ने का रास्ता भी ना मालूम हो। लेकिन निकल जाये। कुछ ऐसा करे जो आपको लक्ष प्राप्ति में मदद करे। यदि आप लगातार और पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम करते हे तो आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेंगी। साथ ही आप अपने समय और संसाधनों का उचित प्रबधक करने में भी कमयाब होंगे।
” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “