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गांव पर सामान्य ज्ञान
कोई शहर से दूर बसेरा हो उसे गांव कहते हे। गांव में रहने वाले लोग कृषि गतिविधियोमे शामिल होते हे। गांव में जीवन की शुरुआत एक सुबह से होती हे। गांव में लोग सुबह 5 उठते हे और दैनिक कामो की शुरुआत करते हे। गांव में पुरुषो अधिकतम दिन में काम करने बहार जाते हे और महिलाये घर का काम करती हे। और बूढ़े लोग ज्यादातर खेती का काम सँभालते हे। गांव में लोग साधारण जीवन जीते हे और जो कुछ भी उसके पास होता हे उसमे संतुष्ट रहते हे। गांव के लोग एक दूसरे के साथ सदभाव से रहते हे और रिश्तो को महत्व देते हे।
गांव के लोग उनके रीती रिवाजो को विशेष महत्व देते हे। गांव में त्यौहार सामूहिक रूप में मनाये जाते हे। ज्यादातर लोग गांव में रहना पसंद करता हे। गावो में शिक्षा को ज्यादा महत्व नहीं देते हे हालाँकि अब थोड़े थोड़े शिक्षित होने लगे हे। गांव में प्रदूषण नहीं होता इसलिए गांव में ज्यादा कोई बीमारी नहीं होती हे। गांव में पुरुषो को घर का मुखिया माना जाता हे।
Village Shayari In Hindi
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जिंदगी के पाव में छाले पड़ जाते हे शहर में
सुकून का जीवन बिताना हे तो आ
जाओ गांव में।
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गांव में खींच लाता हे बूढ़ो का आशीर्वाद
लस्सी, गुड़ के साथ बाजरे की रोटी का स्वाद।
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खरीद लिया हे करोडो का घर शहर में
मगर आँगन दिखाने बच्यो को गांव में ही लाते हे।
जिंदगी में कितने गम आये
जब शहर से दिल टुटा
तब गांव का घर याद आया।
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गांव की मिट्टी में बात ही कुछ और हे
शहर में देखो खुद पथ्थर हो गया हे।
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शहर की हलचल से दूर रहा मन
घर तो गांव में ही जनाब शहर में तो मकान हे।
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जब गांव के खेतो में भूख उगने लगेंगी
तब गांव के किसानो ने शहर में
नौकरी कर ली होंगी।
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पैसे के लिए बस गया वो शख्त शहर में
पूरा गांव खाली कर दिया ख्वाईशो ने।
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तरक्की वाला मकान हे शहर में तुम्हारा
मगर गांव में गरीबो के लिए सुकून और शान हे।
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शहर से अच्छा तो अपना गांव हे जनाब
जहा मकान नंबर से नहीं पिता के
नाम से पहचाना जाता हे।
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जिंदगी में फिरसे गांव की याद आ गई
जो कोरोना आ गया।
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लहलहाते खेतो और हवाओ ही ताजगी
से मन शांत लगा।
गांव अपना और शहर अनजाना लगा।
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परिदो के लिए भी ठिकाना नहीं हे शहर में
मगर गांव के बेरोजगारों को यह
बताना नहीं हे।
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Village Shayari Image
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पहले बरसात में गांव में मिट्टी की खुश्बू आती हे
और शहर में गंदे नाले की इतना ही फर्क हे।
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गांव में दिखती नहीं तरक्की की निशानी
मगर यहां सुबह होती हे बड़ी
सुहानी।
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पछियों को पकड़ना समझदारी हे शहर में
मगर गांव में आज भी दाने
उछालनेका जारी हे।
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चाहत शहर हे जनाब मगर
मोहब्बत तो गांव ही हे।
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एक शहर हे जो पानी के लिए खून बहा देता हे
और गांव हे जो पानी न मिले तो
प्यास बाट लेता हे।
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शहर में कितनी तकलीफ लेकर कमाते हे
जब गांव के बच्ये शहर जाते हे।
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जहा सुकून मिलता हे
जहा प्यार मिलता हे और वो हे
” गांव “
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शहर की यही जिंदगी हे अब तो
हवाओ में भी गंदकी हे।
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गांव का हु गवार मत समझना
सुंदर नहीं हु मगर दिल का
बेकार मत समझना।
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एक गांव भागा था अपनो से घर से
ऐसा कटा की शहर बन गया।
गर्मियों में कौन कौन से फल खाने चाहिए?
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क्या जमाना था एक का खत पूरा गांव पढता था
आज कल तो सभी मोबाईल लेकर
मतलबी हो गया हे।
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शहर जाकर बस गए वो पेसो की शान में
मगर ख्वाईशो ने मेरा पूरा गांव
खाली कर दिया।
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मेरे गांव के स्कूल की मोहब्बत अब
शहर ली कॉलेजों में जाया करती हे।
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शहर में पथ्थर के मकान जब फीके पड जाते हे
तब गांव के मिट्टी के घर याद आते हे।
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Village Shayari 2023
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जिंदगी में खुश भी हो सुकून तो गांव में ही मिलता हे
क्योकि यहां लोग और खाना दोनों असली
मिलता हे।
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आज भी वो शहर का परिंदा बेक़रार हे
गांव में आने के लिए
जो कभी भूल गया था गांव के आशियाने को।
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नैनो में था रास्ता और ह्दय में था गांव अभी
तो गांव की यात्रा पूरी भी नहीं हुए
और छलनी हो गए पाव।
गरीब की न सुने जो इंसान
वो कभी गांव का प्रधान न चुने।
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जिंदगी में मतलबी लोगो से अच्छे तो
मेरे दुश्मन हे
सुविधाएं कम हे मगर शहर से अच्छा
तो मेरा गांव हे।
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सुकून की बात मत कर पगली
बचपन वाला इतवार अब नहीं आता।
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गांव के रहवासी रखो विस्वाश
प्रधान जी करेंगे गांव का विकास।
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हम खुद की लाश कंधे पे उठाये हुए हे
शहर वालो हम गांव से आये हे।
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जिंदगी भर देता रहा अनाज
चूका के खून पसीने का व्याज।
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आज भी दरवाजे पे छुपकर देखती रोज मुझे
गांव का इश्क हे जनाब नौटंकिया नहीं।
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क्या खूबसूरत लिखा हे किसी ने गांव
को गांव रहने दो साहब क्यों
शहर बनाने में तुले हुए हो गांव में रहेंगे तो
माता पिता के नाम से जाना जाता हे और
शहर में रहेंगे तो मकान नंबर से पहचाने जाओंगे।
मेरे खेत की मिट्टी से पता चलता हे
तेरे शहर का पेट मेरा नादान गांव आज भी उलझा हे
कर्ज की किस्तों में।
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जमींदार को जिन्मेदारिया मजबूर कर देती हे
गांव को छोड़कर शहर आना पड़ता हे
अपनों से दूर और गैरो से पास रहना पड़ता हे।
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गांव का इश्क हे जनाब यु फिसलता नहीं हे पैसे
देखके और हररोज बदलाता नहीं।
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इस गर्मी में बन जाओ छाव तुम
में तेरा शहर और तुम मेरा गांव बन जाओ।
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Gav Par Shayari
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जिंदगी में शहर बसा कर सुकून के लिए
गांव को ढूढ़ते हे।
बड़े अजीब हे ये लोग हाथ में कुल्हाड़ी लेके
छाव ढूढ़ते हे।
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गांव में बड़े होने पर भी माँ बाप बच्यो
को डाटते हे
ऐसा लगता हे की अपनापन और
खुशिया बाटते हे।
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( ये पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद )