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Aarzoo Shayari 2 Line In Hindi
आरजू हे मेरी तुम से मुलाकात हो
जीवन भर का न सही
कुछ पल का ही साथ हो तुम्हारे जुबा
के जिक्र में
कही मेरा भी नाम हो।
हे ये आरजू एक बार आजाओ
ख्वाब में
बस दुआ है उस रात कभी
सुबह न हो।
आरजू होनी चाहिए किसी को याद करने
की लम्हे तो अपने आप मिल जाते है।
यह आरजू नहीं की किसी को भुलाये हम
तम्मना है की किसी को रुलाये हम
जिसको जितना याद करे हम…
आने लगा हयात को अंजाम का ख्याल,
जब आरजू फैलकर इश्क डैम बन गई।
दूर रह कर भी आरजू बड़ी खास
होती जा रही है,
मोहब्बत पहले न थी अब
बेसुमार होती जा रही है।
आरजू मेरी चाहत तेरी,
तमन्ना मेरी, उल्फत तेरी,
इबादत मेरी, मोहब्बत तेरी
बस तुझ से तुझ तक है दुनिया मेंरी।
हाय अर्जे आरजू पर
कह गए है वाह
वो अपने शायर होने पर
पछता रहे है अब बहुत।
मेने सब कुछ पाया है
बस तुझको पाना बाकि है,
कुछ कमी नहीं जिंदगी में,
बस तेर आना बाकि है।
न ख़ुशी की तलाश है न गम ये निजात की आरजू,
में खुद से ही नाराज हु तेरे नाराज के बाद।
वक्त तो गुजर गया जब मुझे तेरी आरजू थी,
अब तू खुदा भी बन जाये तो में सजदा न करू।
हे आरजू की एक रात तू आओ ख्वाबो में,
यह दुआ है उस रात की कभी सुबह न हो।
पतंग कट भी जाये तो कोई परवाह नहीं,
आरजू बस ये है की उसकी छत पे जा गिरे
Aarzoo Shayari 2021
बहुत छोटी लिस्ट है, मेरी ख्वाईशो की,
पहली तुम और आखरी भी तुम।
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए सनम,
मेरी पहली और आखरी आरजू बस तुम हो।
बड़ी आरजू थी
मोहब्बत को बेनकाब देखने की,
दुप्पटा जो सरका
तो जुल्फे दीवार बन गई।
चहरे पे मेरे जुल्फ को फेलाओ किसी
दिन क्या रोज गरजते हो बरस जाओ
किसी दिन।
एक आरजू थी साथ जीने की
जो अधूरी रह गई,
कैसे निकले वो महकती सांसे
मेरे रूह में जो बस गयी।
आरजू तेरी बरक़रार रहे
दिल का क्या है रहे या ना रहे।
तेरी आरजू मेरा ख्वाब है,
जिसका रस्ता ख़राब है,
मेरे जख्म का अंदाजा न लगाना,
दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है।
दिल में आरजू के दिये जलते रहेंगे,
आँखो में मोती निकलते रहेंगे,
तुम शमा बनकर दिल में रौशनी करो,
हम मोमबति की तरह पिघलते रहेंगे।
आरजू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
एक तेरा जिक्र था और बिच में क्या क्या निकला
सरवर आलम राज।
खाहिशे मेरी धूमिल हो जा रही है,
मेरे आरज़ू ए खाने में,
अब बेफकत की जिंदगी जी रहा हु,
इस बेदर्दी ए ज़माने में।
तेरी ख़ामोशी देख कर
लगता है तेरा भी अपना
कोई था इतना बेदर्दी से
बरबाद कोई गीर नहीं सकता।
उदास राते और मेरी
आरजू ए तनहाई तो देखो
की मुझे फिर तुम,एक तूम
बस तुम याद आ रहे हो।
आरजू हमें वो बहोत थी उसने वफ़ा की
मगर वफ़ा करना उनकी फितरत में नहीं था,
गिल्ला कर्वी तो किस से
गिल्ला करने के लिए तो कोई अपना होना चाहिए।
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