मकर संक्रांति क्यों और कब मनाया जाता हे महत्व कथा

      हैलो दोस्तों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। तो आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले हे मकर संक्रांति के बारे में सारी पौराणिक बाते तो उम्मीद हे की आपको यह आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते हे…..

 
Happy Makar Sankranti

मकर संक्रांति का पर्व क्यों और कब मनाया जाता हे ?

      भगवान् सूर्य अपने पुत्र से मिलने उनके घर जाते हे। क्युकी शनिदेव मकर राशि के स्वामी हे अत: इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता हे। भीष्मपिताह ने अपने देह त्यागने के लिए महाभारत काल में मकर संक्रांति का ही वयन किया था। और मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जाकर मिली थी। 
सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता हे तब जाकर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हे। 
मकर संक्रांति वैसे तो 14 जनवरी को मनाया जाता हे लेकिन कभी कभी 12,13 या 15 जनवरी को भी मनाया जाता हे। क्योकि यह त्यौहार सूर्य को मकर राशि में प्रवेश करने के दिन ही मनाया जाता हे। 
 
 
मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व। 
 
      पुराणों के अनुसार यह दिन सूर्य अपने पुत्र से मिलने उसके घर जाता हे क्योकि मकर राशि स्वामी शनि हे। सूर्य और शनि का तालमेल सम्भव नहीं हे लेकिन सूर्य खुद अपने पुत्र के घर जाते हे इसलिए पुराणों में यह दिन पिता पुत्र के सबंधो को निकटता की शुरुआत के रूप में देखा जाता हे। 
     मकर संक्रांति के दिन सूर्य अपनी उत्तरायणी गति प्रारम्भ करता हे इसलिए इसे उत्तरायण पर्व भी कहा जाता हे। इस दिन जप, तप का अधिक महत्व माना जाता हे। इस दिन को सूर्य पृथ्वी के दक्षिण गोलार्ध पर सीधी किरणे डालता हे इसलिए उत्तरी गोलार्ध में रात्रि बड़ी और दिन छोटा हो जाता हे इस कारण ठंडी का मौसम भी बढ़ जाता हे। मकर संक्रांति दिन सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में आगे बढ़ता हे इस कारण मौसम में बहोत परिवर्तन आता हे। यह किसानो के फसल में फायदेमंद माना जाता हे।  
 
मकर संक्रांति महत्व वीडियो 
 
 
मकर संक्रांति पर कथा। (कहानि)
 
     अश्वमेघ यज्ञ का अनुष्ठान किया राजा सगर ने और अपने अश्व को विजय के लिए छोड़ दिया। स्वर्ग से इंद्र देव ने वो अश्व को कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। राजासगर के साठ हजार पुत्र युद्ध करने पहोचे कपिल मुनि आश्रम में तब कपिल मुनि ने श्राप देकर भष्म कर दिया। राजा सगर के पोते अंशुमान ने कपिल मुनि के आश्रम में जाकर विनती की और अपने बंधुओ के उद्धार का मार्ग पूछा। और इनके उद्धार के लिए कपिल मुनि ने बताया की गंगा जी को घरती पर लाना होंगा। 
      प्रतिज्ञा की राजकुमार अंशुमान ने जब तक गंगा जी धरती पर ना आये तब तक कोई भी मेरे वंश का राजा चैन से नहीं रहेंगा। कपिल मुनि ने उनको आशीर्वाद दिया उनकी प्रतिज्ञा सुनकर। राजकुमार अंशुमान ने कठिन तप किया और उसी में अपनी जान दे दी। राजा दिलीप के पुत्र भगीरथ अंशुमान के पौत्र थे। और भगीरथ ने तप करके गंगा जी को प्रसन्न किया। और उन्हें मना लिया धरती पर आने के लिए। फिर भगीरथ ने भगवान शिव को प्रसन्न किया क्युकी वो अपनी जटा पर गंगा जी को रखकर धीरे धीरे गंगा जी के जल को धरती पर प्रवाहित करे। इसके बाद गंगा जी महादेव की जटा में समाहित होकर धरती के लिए प्रवाहित हुई। भगीरथ कपिल मुनि के आश्रम गए गंगा जी को रास्ता दिखाते दिखाते और जिस दिन गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम पहोची उस दिन मकर संक्रांति का दिन था। और जहा उनके पूर्वजो की राख उद्धार के लिए प्रतीक्षारत थी। 
     भगीरथ के पूर्वजो का उद्धार हुआ गंगा जी के पावन जल से उसके बाद गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम से सागर में मिल गई। यह दिन मकर संक्रांति थी इसलिए मकर संक्रांति के दिन गंगाजी में श्रद्धालु स्नान करते हे। और कपिल मुनि के आश्रम के दर्शन के लिए जाते हे। 
मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरो का अंत किया था। और उन असुरो के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। इसलिए यह मकर संक्रांति का दिन नकारात्मक को ख़त्म करने का दिन कहा गया हे। 
 
मकर संक्रांति को मनाने का तरीका।
 
      मकर संक्रांति के दिन दान,पुण्य का खुबज महत्व माना जाता हे। और इस दिन गुड़ या तिल लगाकर किसी पावन नदी में स्नान किया जाता हे। और उसके बाद सूर्य देव को जल जढ़ाया जाता हे या उनकी पूजा की जाती हे। उसके बाद गुड़, तिल आदि का दान किया जाता हे। और यह दिन भारत में कई जगहों पर पतंग भी उड़ाई जाती हे। और दिन भर तीली के बने व्यंजन का सेवन किया जाता हे। और इस दिन पर खिचड़ी का भी दान किया जाता हे। कई जगहों पर इस पर्व को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता हे। और इस पर्व को अलग अलग शहरो में अपने अलग अलग तरीके से मनाया जाता हे। इस दिन किसान फसल भी काटते हे। 
 
भारत के अलावा 5 देशो में मनाया जाता हे मकर संक्रांति का त्यौहार। 
 
   मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार हे जो भारत के आलावा पांच देशो में मनाया जाता हे। दुनिया में कई देशो में हिन्दू धर्म को मानने वाले यह पर्व मनाते हे। भारत के बहार हिन्दू प्रवाशी भी यह पर्व बड़ी धूम धाम से मनाते हे। यह पर्व भारत के अलावा थाईलैंड, म्यांमार, नेपाल, श्री लंका, कंबोडिया जैसे देशो में मनाया जाता हे। 
 
थाईलैंड : मकर संक्रांति अलग अलग तरीके से मनाते हे कई साऊथ इष्ट एशियन के लोग भी। थाईलैंड में मनाई जाने वाली मकर संक्रांति को सॉकर्ण के नाम से जाना जाता हे। हालाँकि यहां भारत की संस्कृति से अलग ही सस्कृति हे। थाईलैंड में अलग पंतंग होती हे हर राजा की। और वो शांति और खुशहाली की आशा से पतंग उड़ाते हे। थाईलैंड के लोग  वर्षा ऋतु की पतंग उड़ाते हे क्युकी अपनी प्राथना भगवान तक पहोचाने के लिए। 
 
 
म्यांमार : एक अलग ही रूप से देखने मिलती हे म्यांमार में मकर संक्रांति यहां मकर संक्रांति को थीनज्ञान से जाना जाता हे। म्यांमार में यह त्यौहार दो से चार दिन तक चलता हे। और नया साल आने की ख़ुशी में यह त्यौहार हर्षाल्लास के साथ मनाया जाता हे। 
 
नेपाल : भ्राति भ्रांति रीती रिवाजो के साथ नेपाल में यह त्यौहार मनाया जाता हे। मकर संक्रांति के दिन किसान अपनी अच्छी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देकर अपनी अनुपमा को सदैव लोगो पर बनाये रखने का आशीर्वाद मांगते हे। मकर संक्रांति को नेपाल में माघे संक्रांति सुर्यातरायण और थारू समुदाय में माघी कहा जाता हे। इसलिए नेपाल सरकार इस दिन छुट्टी देती हे। नेपाल में नदियों के किनारे लाखो की संख्या में लोग नहाने जाते हे। और नेपाल में रुरुधाम त्रिवेणी मेला सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हे। 
 
श्री लंका : भरतीय संस्कृति से थोड़ा अलग हे। मकर संक्रांति को मनाने का तरीका श्री लंका में। यहां इस त्यौहार को उजाहवर थिरूनल नाम से मनाया जाता हे। श्री लंका के लोग इसको पोंगल भी कहते हे। क्योकि यहां तमिलनाडु के लोग भी रहते हे। 
 
कंबोडिया : मकर संक्रांति कंबोडिया में मोहा संगक्रान नाम से जाना जाता हे। यहां पर भारत की थोड़ी थोड़ी झलक देखने मिल जाती हे। यहां के लोगो की यह मान्यता हे की नए साल का आगमन और पुरे वर्ष खुशहाली माहौल रहने के लिए मनाते हे। 
 
मकर संक्रांति पर शायरी। 
 
फूल खिले पल पल 
न हो कभी काँटों का सामना 
जिंदगी आपकी खशियो से भरी रहे 
यही हे संक्रांति पर हमारी शुभकामना। 
 
राशि बदलेंगी सूरज की 
बहुतो की किस्मत बदलेंगी 
यह साल का पहला पर्व होंगा 
जो बस खुशियों से भरा होंगा। 
 
 मिल गए गुड़ में तिल 
उडी पतंग और खुल गए दिल 
हर पल सुख और हर दिन शांति 
सबके लिए ऐसी हो मकर संक्रांति। 
 
लड्डू की बहार, चिक्खि की खुश्बू 
उत्तरायण का त्यौहार आने को हे तैयार 
थोड़ी सी मस्ती थोड़ा सा प्यार 
मुबारक हो आपको संक्रांति का त्यौहार। 
 
रंगो की डोली पूर्णिमा का चाँद 
चाँद से उनकी चांदनी बोली 
खुशियों से भरे आपकी झोली 
मुबारक हो आपको रंग बेरंगी 
पतंग वाली मकर संक्रांति। 
 
और शायरी पढ़ने के लिए..
F A Q
 
मकर संक्रांति कब हे ?
14 जनवरी को। 
 
मकर संक्रांति में क्या क्या दान करना चाहिए ?
गुड़, तिल, खिचड़ी, उड़द आदि….
 
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या हे ?
दोपहर 02:43 बजे से शाम 05:45 बजे तक। 
 
मकर संक्रांति का वाहन क्या हे ?
इस वर्ष सिंह और हाथी रहेंगा। 
 
 
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