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Kareeb Shayari In Hindi
दिल के बेहद करीब होते हे जो बिना
कहे सुने भी
ऐसे नाजुक अहसास बड़े नशीब
से नशीब होते हे।
कुछ दूरियों के साथ वो करीब बहोत हे
हम दो नो जी तो रहे हे पर बहोत
सी मजबूरियों के साथ।
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हे
करीब आओ जरा
दिल को तुमसे नहीं तुम्हारी हर अदा
से मोहब्बत हे।
हमे समज जाओंगे शायद करीब आएंगे तो
ये दूरिया तो केवल फासले
बढाती हे।
गुजर गई जनाब हमारे करीब से मंजिल
और हम औरो को रास्ता दिखाने
में रह गए।
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हे
करीब आ जाओ
दिल को तुम से ही नहीं तुम्हारी
हर अदा से प्यार हे।
उनकी शाजिस तो देखो हमारा क़त्ल करने की
गुजरे जब करीब से तो चहेरे से
पर्दा हटा लिया।
मोती तुजे नशीब हो ख्वाइश के समंदर में
तुजे चाहने वाला हमसफ़र
तेरे करीब हो।
Kareeb Shayari 2021
बड़ी उलझन में हु तेरे करीब आकर
में गैरो में हु या तेरे अपनों में हु।
जो तुम्हे खुश रखे उस इंसान के
हमेशा करीब रहो
लेकिन उस इंसान के और भी करीब रहो
जो तुम्हारे बगैर खुश न रह पाए।
जो किताबे पढ़कर सिख न सके
पूरी उम्र
करीब से कुछ चहेरे पढ़े तो न जाने
कितने सबक सिख लिए।
बन गया हे तू एक अदा सी
जिसे बदलने के लिए जितना दूर जाती हु
उतना ही करीब आ जाती हु।
मुझे खूब चाहने वाला वो शख्स
मेरे करीब ही था
में फिजूल ही भटक रहा था
चाहने वालो की तलाश में।
इतना रहो किसी के करीब की
रिश्ते में प्यार रहे
और दूर इतना रहो की आने का
इंतजार रहे।
रोने भी नहीं देता ये कैसा सितम हे आपका
करीब आते नहीं और खुद से जुदा
होने भी नहीं देता।
यु रुसवा नहीं करते जो दिल के करीब हो उसे
अपनी मोहब्बत का तमाशा नहीं करते
घुटन और बढ़ेंगी अगर खामोश रहे तो
अपनों से कोई बात छुपाया नहीं करते।
Kareeb Shayari Image
जबसे दुश्मन हो गए जो दिल के
करीब थे वो
ज़माने में हुई चर्चे और हम
मशहूर हो गए।
जो आपको खुस रखता हे उन्ही के
करीब मत रहिये
बल्कि उन्ही के करीब जाइये जो आपके
बिना खुश नहीं हे।
जिसे आँखे ढूंढती हे अकेलापन में वो
उम्मीद हो तुम
दूर रहते हुए भी इस दिल के सबसे
करीब हो तुम।
किसी को किसी के करीब लाता हे
अहसास ही
दिल में छुपे एक दूसरे के लिए
प्यार को बताता हे।
और कितना करीब लाउ तुजे
इससे ज्यादा
की तुजे दिल में रखकर भी मेरा
दिल नहीं भरता हे।
करीब होता हे न कोई किसी के
न ही कोई किसी से दूर होता हे
मोहब्बत खुद ही चल कर आती हे करीब उसके
जो किसी की तक़दीर होता हे।
मेरे घर के करीब होता काश तेरा घर
मिलना न सही देखना तो
नशीब होता।
बहोत अजीब थे हम एक दूसरे के
कल की ही बात हे बहोत
करीब थे हम।
Kareeb Par Shayari
वो मिल ना सके करीब आके भी मुझे
मिल के भी हमसे वो लगता हे
बेगाने हो चुके थे अब
खुद से भी वो।
( ये पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद )