एक तरफा प्यार शायरी

 तेरे इश्क का बुखार है मुझको बस तुम्हे देखना ही मेरी दवाई है।

 एक तरफा है तो क्या हुआ मैने अपना खुदा माना है उसको।

 घुटन सी होने लगी है इश्क जताते हुए, में खुद से रूठ जाता हु तुम्हे मनाते हुए।

 काश में तुम्हे अनदेखा करता जिस तरह तुम मुझे अनदेखा करती हो।

 एक तरफा ही सही मगर प्यार किया है उन्हें हो या ना हो पर हमने तो बेशुमार किया है।

 अब तुम्हारी आदत सी हो गई है क्या करें, एकतरफा इश्क है झेलना ही पड़ेगा।

 मेरी जिंदगी की हर शाम हसीन हो जाये, अगर तेरी मोहोब्बत मुझे नसीब हो जाये।

 उसकी मोहोब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है, अपना भी ना बनाया और किसी का होने भी ना दिया।

 इश्क भले ही एक तरफा था मेरा मगर पहलें तुम्हारी नज़रो ने भी किया ही था।