आज पर शायरी

 सोचा था आज कुछ तेरे सिवा सोचु, तब से सोच में हु की और क्या सोचु।

 आज शायरी नहीं बस इतना सुन लो, में हु तन्हा और वजह तुम हो।

 दिल खुश हो गया वाह मौसम आज तेरी अदा पर याद मुझे आई और बरस तू गया।

 बदनाम हो गई फिर वो चाय की दूकान कुछ पुराने दोस्त मिले फिर क्या वही शाम हो गई।

 सोच रहा हु आज क्या लिखा जाय?, यार लिखा जाये की प्यार लिखा जाये।

 आज तू है कल कोई और होगा, ये भी एक दौर है वो भी एक दौर होगा।

 आज हिचकियों पर हसी आयी भला मेरी याद किसे आयी।

 कुछ उदासी थी उनके चहेरे पर, जो हरपल हस्ते थे वो आज गुमसुम है।