शाम पर शायरी
शाम पर शायरी
हमने एक शाम चिरागों से सजा रखी है, शर्त लोगो ने हवाओ से लगा रखी है।
हमने एक शाम चिरागों से सजा रखी है, शर्त लोगो ने हवाओ से लगा रखी है।
बस एक शाम का हर शाम इतंजार रहा मगर वो शाम किसी शाम नहीं आयी।
बस एक शाम का हर शाम इतंजार रहा मगर वो शाम किसी शाम नहीं आयी।
हम बहोत दूर निकल आये है चलते चलते, अब ठहर जाए कही शाम के ढलते ढलते।
हम बहोत दूर निकल आये है चलते चलते, अब ठहर जाए कही शाम के ढलते ढलते।
यु तो देखि है और भी खूबसूरत चीजें हमने मगर ढलती शाम सी किसी में बात कहा।
यु तो देखि है और भी खूबसूरत चीजें हमने मगर ढलती शाम सी किसी में बात कहा।
समंदर किनारे की यह शाम है सुहानी क्योकि मुझे वह आपके साथ है बितानी।
समंदर किनारे की यह शाम है सुहानी क्योकि मुझे वह आपके साथ है बितानी।
उदास कर देती है हर रोज ये शाम ऐसा लगता है जैसे कोई भूल रहा है धीरे-धीरे।
उदास कर देती है हर रोज ये शाम ऐसा लगता है जैसे कोई भूल रहा है धीरे-धीरे।
कभी तो सूरज डूबे और सितारों संग एक जाम हो जाये और वह खूबसूरत शाम तेरे नाम हो जाये।
कभी तो सूरज डूबे और सितारों संग एक जाम हो जाये और वह खूबसूरत शाम तेरे नाम हो जाये।
दर्द की शाम हो या सुख का सवेरा हो सब कुछ कबूल है अगर साथ तेरा हो।
दर्द की शाम हो या सुख का सवेरा हो सब कुछ कबूल है अगर साथ तेरा हो।
तुम पूछ लेना हर सुबह या शाम से यह दिल धड़कता है सिर्फ तेरे नाम से।
तुम पूछ लेना हर सुबह या शाम से यह दिल धड़कता है सिर्फ तेरे नाम से।
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