चाँद पर शायरी

 कड़ी धुप में भी हो जाता है अँधेरा उसके बिना, वह शक्श मुझे चाँद से भी ज्यादा प्यारा है।

 पाने की ख्वाइश में ये इंसान बहोत कुछ खो देता है, भूल जाता है की आधा चाँद भी खूबसूरत होता है।

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 मेरी निगाहो में एक ख्वाब आवारा है, चाँद भी देखु तो, चहेरा तुम्हारा है।

 आज टूटेगा गुरुर चाँद का तुम देखना यारों आज मेने उन्हें छत पर बुला रख्हा है।

 मत पूछ मेरे जागने की वजह ए चाँद, तेरा ही हमशक्ल है जो सोने नहीं देता।

 निगाहें हम दोनों की चाँद पर ही थी, उनकी आसमान वाले पर और हमारी उन पर।

 चाँद की रौशनी से रोशन हो गए सितारे, पर आपकी मुस्कान से खिल उठे गुल और ये नजारे।

 करीब आने से ही चलता है शख्सियत का पता, जमीन से तो चाँद भी छोटा सा दीखता है।