Importance Of Silence – हमारे जीवन में मौन का महत्त्व

नमस्कार देवियों और सज्जनों sochkasafar.in पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तो आज के इस लेख में हम बात करने वाले है Importance Of Silence – हमारे जीवन में मौन का महत्त्व के बारे में। तो आज यह आर्टिकल आपके लिए बहोत ही ख़ास होने वाला है तो उम्मीद है की आपको यह आर्टिकल पसंद आयेंगा। तो चलो देखते है आगे।

Importance Of Silence – हमारे जीवन में मौन का महत्त्व

Importance Of Silence
हमारे जीवन में मौन का महत्त्व

मौन का महत्त्व

मनुष्य का जीवन विचित्रताओं से भरा होता है जिसकी वाणी और मस्तिष्क का सीधा सबंध है मनुष्य जो भी सोचता है और विचारता है, उसकी अभिव्यक्ति वाणी के माध्यम से करता है किसी भी भावना वाणी के माध्यम से ही प्रकट होती है। मगर जीवन में वाणी का संयम भी अनिवार्य रूप से आवश्यक है। जो मौन साधना इसी की पूर्ति करती है। क्योकि मौन में वह ताकत होती है जो अंतशक्ति को जगाने का सामर्थ्य रखती है जीवन में उपलब्धिया अर्जित करने के लिए मौन-साधना अनुकरणीय है। जो व्यक्ति जीवन में निरंतर सत्य का शोध कर रहा हो, वह मौन साधना का ही पथ पकड़ता है।

वास्तव में मौन साधना की अध्यात्म-दर्शन में बड़ी महत्ता बताई गई है इसलिए जितना जरुरी है उतना ही बोलो, शब्दों में बहोत ऊर्जा है उसे व्यर्थ न गवाए। हालांकि कई बार ऐसा देखने मिलता है की आपसे मुख से निकले कुछ शब्द आपके लिए अप्रिय स्थिति उत्पन्न कर सकते है इसलिए जितना जरुरी हो उतना ही बोलो वरना मौन रहो। मौन साधना चिंत-वृतियो को बिखरने से बचाती है, मौन रहने से वाणी के साथ व्यय होने वाली मानसिक शक्ति की बचत होती है इस बचत को आत्मचिंतन में लगाकर सुखद-शीतल और सिग्ध शांति तक पंहुचा जा सकता है। और इससे नवीन चेतन्यता स्फूर्ति और जीवन-शक्ति प्राप्त होती है।

मौन रहने से हम अपनी उर्जाओ को दिशा देते है यह हमें स्पष्टता देता है की हमें चुनौतियों और अनिश्चितता का शांति से सामना करने की आवश्यकता है। मौन रहने से आप अपना ध्यान केंद्रित कर सकते है और इसके विभिन्न शोर एक ही बार में आपके मतिष्क में प्रवेश करते है जिससे आप विभिन्न कार्यो पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता अक्षर थोड़ा पृष्टभूमि शोर के साथ होती है।

मौन रहने से हमारे मन की शक्ति बढ़ती है और आपके मन की किसी भी प्रकार का डर, चिंता, क्रोध नहीं रहेगा। मौन रहना एक ऐसा उपाय है जिसे करते ही हमारा आत्मविश्वास, एकाग्रता और मन की शक्ति बढ़ती है। मौन रहने से हम दुसरो की बात को ध्यान से सुन सकते है और वो अच्छे से याद भी रह सकता है। इसलिए हमेशा काम सिवाय बात नहीं करनी चाहिए। मौन रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहोत फायदेमंद होता है इसलिए जितना हो उतना ही बोले। क्योकि कई बार अपने मुँह से बोले हुए शब्द किसी को इतने लगते है की सालो का रिश्ता भी टूट जाता है इसलिए हमेशा कम बोलिये और मौन रहने की कोशिश करे।

सामान्य जीवन में भी कार्य करते समय बोलने और मौन रहने का अंतर् समझा जा सकता है जो व्यक्ति मौन रहते है उनकी बुद्धि अपेक्षाकृत अधिक स्थिर तथा संतुलित विचारो वाला हानि-लाभ हित-अनहित के प्रसंगो पर बड़े धैर्यपूर्वक सोच समझ सकता है। संकट या आपत्ति के समय मौन द्वारा प्रमुख की हुई विचार शक्ति बड़ी सहायक सिद्ध होती है। कभी भी देखा जा सकता है की जब मनुष्य किसी गहन प्रसंग पर सोचना चाहता है तो वह एकांत की तलाश करता है न वो उस समय बोलता है या न किसी से बात करता है। और विचारक जितने गहरे मौन में उतरता जाता है, समस्याओ का सार्थक हल खोज लाता है। अगर किसी से बोलना पड़े तो कम बोलना चाहिए, यदि एक शब्द से काम चल जाए तो दूसरा मुँह से नहीं निकलना चाहिए।

यह भी पढ़े…

हमारे जीवन में शिक्षा का महत्त्व

स्कूल का महत्त्व

मौन रहने के फायदे

” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “