➤ हैलो दोस्तों आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। तो आज में आपको इस आर्टिकल में बात करने वाला हु आंवला फल के बारे में जानकारी, अमेजिंग फैक्ट्स, आंवला फल खाने के फायदे और नुकशान, आंवला फल की खेती की जानकारी और FAQ तो उम्मीद हे की आपको यह मेरा आर्टिकल पसंद आयेंगा।
आंवला फल के बारे में जानकारी
➤ आंवला एक छोटे आकार और हर रंग का फल हे। यह स्वाद में बहोत खट्टा होता हे। आयुर्वेद में इसको अत्यधिक स्वास्थ्यवर्धक माना गया हे। आंवला का पेड़ 6 से 8 मीटर ऊँचा झारीय पौधा होता हे। आंवले के पेड़ की छाल पतली और परत छोड़ती हुई होती हे। आंवले के पत्ते इमली के पत्तो की तरह होते हे जो आधा इंच लंबे होते हे। आंवला गर्मियों और सर्दियों दोनों मौसम में पाया जाता हे। यह एशिया के अलावा यूरोप और आफ्रिका में भी पाया जाता हे। आंवले को मनुष्य के लिए प्रकृति का वरदान कहा जाता हे। आंवला एक ऐसा फल हे जिसमे अम्ल, क्षार, लवण, तिक्त, मधु और कषाय गुण एकसाथ होते हे।
➤ आंवला एक ऐसा फल हे जिसको विटामिन सी का भंडार माना जाता हे। जो हमारे शरीर के लिए बहोत ही उपयुक्त माना जाता हे। आंवले में विटामिन सी के आलावा प्रोटीन, वसा, रेशा, कार्बोहाइड्रेड, खनिज द्रव्य, पानी, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा आदि तत्व पाए जाते हे। जो हमारे लिए बहोत उपयोगी है।
आंवला फल के बारे में अमेजिंग फैक्ट्स
➤ आंवला एक छोटे आकार और हरे रंग का फल हे जो स्वाद में बहोत खट्टा होता हे।
➤ पुरे विश्व में एक ही ऐसा फल हे जिसे अमृत समान माना जाता हे।
➤ आंवला एशिया के अलावा यूरोप और आफ्रिका में पाया जाता हे।
➤ आयुर्वेद के अनुसार हरीतकी और आंवला दो सर्वात्कृष्ट औषधीया हे।
➤ आंवला का प्रयोग कई तरह से किया जाता हे जैसे की आंवला ज्यूस, आंवला पाउडर, आंवला अचार आदि बनता हे।
➤ आंवला के पौधे और फल कोमल प्रकृति के होते हे इसलिए इसमें कीड़े जल्दी लग जाते हे।
➤ आंवला में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हे जो हमारे शरीर के लिए बहोत ही फायदेमंद होते हे।
➤ आंवला श्वास, रोग, दमा, क्षय, हदय रोग, छाती के रोग, मूत्र विकार, कब्ज आदि रोगो से लड़ने की क्षमता रखता हे।
आंवला फल खाने के फायदे
1. पाचन तंत्र के लिए
➤ आंवला में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता हे। जो शरीर के पाचन तंत्र को ठीक कर पेट की समश्याओ से छुटकारा दिलाता हे। आंवला का खाली पेट में रोज सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार होता हे।
2. त्वचा के लिए
➤ आंवला खाने से खूबसूरती भी बढ़ती हे। सौंदर्य बनाये रखने के लिए आंवला रामबाण हे। क्योकि इसके सेवन से त्वचा में निखार आता हे। और दमकती रखती हे। इसमें मौजूद एंटी-फंगल व् बैक्टेरियल इंफेक्शन को दूर करते हे।
3. हड्डियों के लिए
➤ आंवला में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता हे जिसके सेवन से हड्डिया मजबूत होती हे। और जोड़ो से दर्द से भी राहत मिलती हे।
4. बालो के लिए
➤ आंवला बालो के लिए बहोत उपयोगी माना जाता हे। यह बाल झड़ने और सफ़ेद होने से रोकता हे। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स आयरन और विटामिन सी प्रचुर मात्रा में मिलता हे। जो बालो को झड़ने से रोकता हे।
5. डायाबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के लिए
➤ आंवला क्रोमियम का सबसे अच्छा त्रोत हे। आंवला से शरीर में ब्लड शुगर के लेवल को कम करता हे। और डायाबिटीज को भी नियत्रित करने में मदद करता हे। इसके अलावा यह हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करने में मदद करता हे।
आंवला फल खाने के नुकशान
1. एसिडिटी
➤ जिन लोगो को एसिडिटी की शिकायत रहती हे उन्हें आंवले का सेवन करने से बचना चाहिए। आंवले में मौजूद विटामिन सी की अधिकता हाइपर एसिडिटी वाले लोगो की दिक्कते बढ़ा सकती है।
2. कब्ज के लिए
➤ आंवला में भरपूर मात्रा में फाइबर होता हे लेकिन इसके अधिक सेवन से आपको कब्ज की भी समस्या हो सकती हे। ज्यादा आंवला खाने की वजह से मल कठोर हो जाता हे। अगर आप हर दिन आंवले का सेवन करते हे तो आपको पानी का सेवन भी ज्यादा करना चाहिए जिससे की आपको कब्ज जैसी परिशानी का सामना न करना पड़े।
3. यूरिन में जलन
➤ आंवले में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता हे। इसके ज्यादा सेवन से आपके मूत्र में जलन हो सकती हे। कई लोगो को अपने मूत्र में दुर्गन्ध का अनुभव भी कर सकते हे।
4. सर्जरी कराने वालो के लिए
➤ जिन लोगो को भविष्य में सर्जरी करवानी हो उन्हें फिलहाल आंवले से बचना चाहिए। इस फल का अधिक सेवन करने से रक्तस्त्राव का खतरा होता हे। सलाह दी जाती हे की सर्जरी के कम से कम 2 सप्ताह पहले आंवला खाना बंध कर देना चाहिए।
5. ब्लड प्रेशर को करता हे प्रभावित
➤ हाइपरटेंशन और किडनी की समस्या से परीशान लोगो को आंवले का सेवन करने से बचना चाहिए। इसका सेवन करने से शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ जाता हे, जिससे किडनी अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाती। जिसकी वजह से शरीर में पानी भरना शुरू हो जाता हे और हाइब्लडप्रेशर की समस्या पैदा होने लगती हे।
आंवला फल की खेती के बारे में जानकारी
1. उपयुक्त जलवायु
➤ आमतौर पर आवला की बागबानी उन इलाको में होती हे जहा गर्मी और सर्दी का तापमान में अधिक अंतर् नहीं होता हे शुरुआत में इसके पौधे को सामान्य तापमान की जरूरत होती हे मगर बड़ा होने के बाद वो 0 से 45 डिग्री तक का तापमान सह सकता हे। आंवले के पौधे को विकास के लिए गर्मी की जरूरत जरूरत होती हे। लम्बे समय तक ठण्ड पड़ने से इसमें नुकशान होने का भय रहता हे।
2. उपयुक्त मिट्टी
➤ इसके सख्त होने की वजह से इसे मिट्टी की हर किस्म में उगाया जा सकता हे। इसे हल्की तेजाबी, नमकीन और छूनेवाली मिट्टी में उगाया जा सकता हे। अगर इसकी खेती बढ़िया जल निकास वाली और उपजाऊ-दोमट मिट्टी में की जाती हे। तो यह अच्छी पैदावार देती हे। यह खारी मिट्टी को भी सहयोग्य हे। इसकी खेती के लिए मिट्टी की ph6.5-9.5 होना चाहिए।
3. उन्नत किस्मे
➤ वर्तमान में स्थानीय बाजारों में विभिन्न प्रकार की आंवला की व्यापारिक किस्मे मौजूद हे। जिन्हे खासकर जल्दी पैदावार लेने के लिए विकसित किया गया हे। यह किस्मो को पुरे भारत में उगाया जाता हे। आंवले की उन्नत किस्मे जैसे की फ्रांसिस, नरेंद्र-10, कृष्णा, चकइया, बनारसी, एन ए-4 आदि किस्मे हे जिसमे आपको अपनी बागबानी के लिए तय करना होता है।
4. खेत की तैयारी
➤ खेत को तैयार करने के लिए खेत को सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर दी जाती हे। ताकि पुराने फसल के अवशेष नष्ट हो जाये। जुताई के बाद खेत को कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दे ताकि खेत को अच्छी तरह से धुप लग जाये।
➤ इसके बाद खेत को फिर से अच्छी तरह से जुतवा दे बाद में मिट्टी भुरभुरी हो जाने पर पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे। इसके बाद खेत में 4 मीटर की दुरी रखते हुए दो फिट चौड़े और डेढ़ फिट गहरे गड्डे तैयार कर ले। इसके बाद जैविक और रासायनिक उवर्रको को मिट्टी में मिलाकर गड्डो में भर दे। यह गड्डे पौधा रोपाई के 1 महीने पहले तैयार कर ले।
5. पौधा रोपाई
➤ आंवले के पौधे खेत में लगाने के एक महीने पहले नर्सरी में तैयार कर लिए जाते हे। इसके बाद पौधे को तैयार किये गड्डो के बिच एक छोटा सा गड्डा तैयार कर के लगा देना चाहिए। इसके बाद पौधो को मिट्टी से अच्छी तरह दबा दे। आंवले के पौधे सितंबर माह में लगाना उपयुक्त माना जाता हे। इस समय लगाए गए पौधे अच्छे से वृद्धि करते हे।
6. पौधो की सिंचाई
➤ आंवले के पौधो को शरुआत में सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती हे। इसके पौधे खेत में लगाने के बाद तुरंत ही पहली सिंचाई कर देनी चाहिए। इसके पौधो को गर्मी के मौसम में सप्ताह में एक बार और सर्दियों के मौसम में 15 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई कर देनी चाहिए। बाद में जब पौधा बड़ा हो जाता हे तो तब इसे सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती। तब आंवले के पेड़ को महीने में एक बार सिंचाई करनी चाहिए। लेकिन पेड़ पर फूल खिलने के पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए क्योकि इस समय सिंचाई करने से फूल गिरने लगते हे। और फल कम आते हे।
7. पौधो पर लगने वाले रोग
➤ आंवले के पौधो में फल आने के बाद ही कई तरह के रोग दिखने मिलते हे। जिसका समय पर नियत्रण कर देना चाहिए नहिंतर फसल बर्बाद हो जाती हे। पौधो पर दिखने वाले रोग जैसे की काला धब्बा रोग, कुंगी रोग, फल फंफूदी, छालभक्षी किट रोग आदि तरह के रोग दिखने मिलते हे।
8. फलो की तुड़ाई
➤ दिसंबर के अंत तक आंवले की फसल पककर तैयार हो जाती हे। और लगभग आंवला पकने के बाद इसका रंग पीला-हरा या हरा-पीला हो जाता हे, इस अवस्था में पूर्ण रूप से पक जाती हे। अब जनवरी के महीने में आंवले की तुड़ाई शुरू कर देनी चाहिए। फलो की तुड़ाई बाद उसे अच्छे से पैक करके बाजार भेज दिया जाता हे।
आंवला फल के बारे अक्शर पूछे जाने वाले सवाल
1. भारत में आंवले का सबसे ज्यादा उत्पादन कहा होता है?
➤ भारत में आंवले का सबसे ज्यादा उत्पादन उत्तरप्रदेश में होता है।
2. आंवला का पेड़ कब लगाना चाहिए?
➤ आंवले के पौधे की रोपाई का समय फरवरी से मार्च का महीना अच्छा रहता हे। जिसमे पौधे अच्छी तरह से विकास करते हे।
3. आंवले फल का वैज्ञानिक नाम क्या है?
➤ आंवले फल का वैज्ञानिक नाम फाईथैलस एम्बिका (Phyllasthus Emblica) हे।
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” यह पोस्ट पढ़ने के लिए दिल से धन्यवाद “
Thanks for this wonderful information about the Benefits of Awla in Hindi