धातु उन तत्वों को कहा जाता हे जो सामान्य रासायनिक अभिक्रियाओं के दौरान अपने परमाणुओं में से एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनने की प्रवर्ति रखते हे उसे धातु कहा जाता हे। धातु प्रकृति में दो रूपों में पाए जाते हे। एक स्वतंत्र और दूसरा सयुक्त रूप में। स्वतंत्र रुप में कम क्रियाशील धातु जैसे सोना, चांदी तथा प्लेटिनियम आदि मुक्त अवस्था में पाए जाते हे। फिर भी अधिकतर धातु सयुक्त अवस्था में खनिज के रूप में जमीन में पाए जाते है। दूसरी और सयुक्त रूप में पाए जाने वाले धातु जल, कार्बन डायोक्साइड, ऑक्सीजन तथा अन्य रसायनो के साथ प्रतिक्रिया करते रहते हे। और प्रकृति में यौगिक के रूप में सयुक्त अवस्था में उपस्थित रहते हे। जैसे सोडियम, पोटेशियम, लोहा, एनयूमिनियम, ताम्बा आदि।
1. धातु का रंग – अधिकतर धातु सोने और तांबे को छोड़कर रुपहले मटमैला रंग के होते हे। तांबे का रंग लाल भूरा तथा सोने का रंग गहरा पीला होता हे।
2.धातु का रूप – सभी धातु चमकीले होते हे। धातुओं की विशेष चमक होती हे। धातुओं की चमकने की विशेषता धात्विक चमक कहलाती हे। अत: सभी धातुओं में धात्विक चमक होती हे। और इन्हे सरलता से चमकाया जा सकता हे।
3. धातु की कठोरता – पोटेशियम और सोडियम को छोड़कर सभी धातु कठोर होते हे। पोटेशियम और सोडियम एक ऐसे धातु हे जिन्हे चाकू से आसानी से काटा जा सकता हे। इसके विपरीत ओसमियन धातु इतनी कठोर होती हे की इससे शिशा खुरचा जा सकता हे।
4. धातु की तन्यता – धातु बहोत ही तन्य होते हे। अर्थात धातु से बहोत लम्बी तारे खींची जा सकती हे। जिसका उपयोग बिजली के तारो में किया जाता हे। इसके अलावा सोने और चांदी की भी बहोत पतली तारे खींची जा सकती हे। ताम्बे और एनयूमिनियम का प्रयोग विधुत तारो में किया जाता हे। क्योकि यह विधुत के सुचालक होते हे।
5. धातु की ध्वनि – धातु ध्वनिज होते हे। धातु को हथोड़े से भी टिका जा सकता हे। तब यह ध्वनि उत्पन करते हे। इसी कारण धातु का प्रयोग घंटी बनाने और वाद्य यत्रो के तार आदि बनाने के लिए किया जाता हे।
6. धातु की तनन श्रमता – धातुओं में बहोत उच्च तनन श्रमता होती हे। और यह बहोत अधिक मजबूत मजबूत होता हे। जैसे की लोहा बहोत अधिक दबाव सह सकता हे। इसलिए इसका प्रयोग इमारते, पल और रेल लाइन आदि बनाने में किया जाता हे।
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